– नासा ने उल्कापिंड को 2011 MW1 नाम दिया
– 28,946 km/h की गति से आगे बढ़ रहा
– 25 जुलाई को धरती के करीब से गुजरेगा
वॉशिंगटन । अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने धरती की ओर तेजी से बढ़ रहे एक उल्कापिंड को लेकर अलर्ट जारी किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, एस्टेरोइड का नाम 2011 MW1 है और यह 28,946 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है।
नासा के अनुसार, 380 फीट का यह एस्टेरोइड 25 जुलाई को धरती से 2.4 मिलियन मील की दूरी से गुजरेगा। वैज्ञानिक इसे नियर अर्थ एस्टेरोइड करार दे रहे हैं। यानी ऐसा उल्कापिंड जो धरती के करीब से गुजरेगा।
…तो क्या बाल-बाल बची धरती
हर साल कई उल्कापिंड धरती की ओर बढ़ते हैं और गुजर जाता हैं।
नासा ने खतरा भांपते हुए इस बार वैज्ञानिकों को अलर्ट किया है।
इस उल्कापिंड की कक्षा की पृथ्वी की कक्षा से बहुत कम दूरी होगी।
हालांकि यह दूसरी पर्याप्त है कि धरती को कोई नुकसान न पहुंचे।
उल्कापिंड का आकार एक गगनचुंबी इमारत के आकार के समान है।
नासा के अनुसार, इस उल्कापिंड से पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है।
वैज्ञानिक इस अंतरिक्ष चट्टान के पथ और गति का अध्ययन करेंगे।
क्या होते हैं धूमकुते
धूमकुते या क्षुद्रग्रह को छोटा ग्रह कहा जाता है। ये सौर मंडल के अवशेष होते हैं। अरबों साल पहले हमारे सौर मंडल के बनते समय इनका निर्माण हुआ है। ये मुख्य रूप से सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इनमें से अधिकांश क्षुद्रग्रह बृहस्पति और मंगल की कक्षाओं के बीच पाए जाते हैं। सोलर सिस्टम डायनामिक वेबसाइट के अनुसार, जुलाई 2024 तक 13,85,217 ज्ञात धूमकुते हैं।
नासा क्या करता है
नासा का सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (सीएनईओएस) सभी नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स पर नजर रखता है। जब भी कोई खतरा नजर आता है, यह दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियों को अलर्ट करता है। धरती से नजदीक से गुजरने वाले उल्कापिंड वैज्ञानिकों के लिए इनका अध्ययन करने का शानदार मौका होता है।
NEO उल्कापिंड क्या होते हैं
NEO क्षुद्रग्रह या उल्कापिंड वो हैं, जिनकी कक्षा सूर्य से 120 मील की दूरी के भीतर होती हैं। ये धरती के लिए खतरा बन सकते है, क्योंकि ये पृथ्वी की कक्षा के आसपास से उड़ते रहते