रोहतक: शहीद पायलट स्क्वाड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह सिंधू का बुधवार शाम को अंतिम संस्कार किया गया। संस्कार से पहले बेटे के शव को देखकर मां अनीता भावुक हुईं तो पिता जोगेंद्र बोले, रो मत तिरंगे में लिपटकर आया है म्हारा लाल। हर किसी का बेटा यूं बाप का नाम रोशन नहीं करता। साथ ही एक माह के बेटे अभिव्युदित्त के संग पत्नी डॉ. सुरभि ने पहले तिरंगे को चूमा, फिर जय हिंद बोलकर पति को अंतिम विदाई दी। इसके बाद रामबाग श्मशान घाट में पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
राजस्थान के चूरू में एक दिन पहले लड़ाकू विमान जगुआर के क्रैश होने पर शहीद हुए रोहतक के पायलट लोकेन्दर सिंह सिंधू के भाई ज्ञानेंद्र सिंह सिंधू का कहना है कि उसका पूरा परिवार सेना में है। दादा ब्रिटिश सेना में सैनिक रहे। बहन वायुसेना से रिटायर हो चुकी हैं, जबकि बहनोई अभी विंग कमांडर हैं। परिवार को भारतीय सेना पर गर्व है। शहीद लोकेंद्र के बेटे को बड़ा होने पर सेना में भेजेंगे। केंद्र सरकार से अपील है कि पुराने हो चुके विमानों को बदला जाए। ज्ञानेन्द्र वीरवार को देव कॉलोनी में मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि बुधवार को जैसे ही पता चला कि वायुसेना का फाइटर विमान क्रैश हुआ है तो उसने अपने जीजा से संपर्क किया क्योंकि उनके छोटे भाई लोकेन्दर सिंह राजस्थान के सूरतगढ़ में तैनात थे। थोड़ी देर बाद पता चल गया कि लोकेन्दर ही दूसरे पायलट को प्रशिक्षण दे रहे थे। लड़ाकू विमान जगुआर क्रैश होने से दोनों पायलटों की मौत हो गई। थोड़ी देर बाद घर पर वायुसेना से फोन भी आ गया।
पहले प्रयास में पास की थी एनडीए की परीक्षा
भाई ने बताया कि लोकेन्दर सिंह सिंधू ने शुरू से ही वायुसेना में पायलट बनने का सपना देखा था। 2010 में 12वीं पास करने के बाद एनडीए की परीक्षा पहले ही प्रयास में पास की। तीन साल बंगलूरू और एक साल हैदराबाद में प्रशिक्षण लिया। 2015 में उनको कमीशन मिला। 10 साल की नौकरी हो गई थी। एक साल पहले ही सूरतगढ़ में तैनाती मिली थी।
दादा बोले- बेहद शांत स्वभाव का था लोकेंद्र
पोते को याद करते हुए दादा बलवान सिंह सिंधू ने बताया कि लोकेन्दर बेहद शांत स्वभाव का था। बचपन में उनके साथ मेले में जाता था। कभी ज्यादा पैसे खर्च नहीं किए। एक बार किसी ने उन्हें हॉकी की स्टिक मार दी। मैंने कहा, उल्टा मारकर जवाब क्यों नहीं दिया। बोला- दादा मारने से क्या हो जाता। मैं किसी के साथ झगड़ा नहीं कर सकता। पोते को याद करते-करते दादा भावुक हो उठे।