जम्मू-कश्मीर। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व सीएम और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। सीएम उमर अब्दुल्ला ने एक्स पर महबूबा मुफ्ती के पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए लिखा कि कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता पाने और सीमा पार बैठे लोगों को खुश करने की अपनी अंधी लालसा के लिए सच्चाई से मुंह मोड़े रहते हैं। साथ ही उन्होंने सिंधु जल संधि को जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा घाटा बताया है।
महबूबा मुफ्ती ने कही थी ये बात
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘मैं समझती हूं कि भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को जो स्थगित किया है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे कई लोग यहां शहीद हुए हैं, कई गांव तबाह हो गए हैं, इतनी तबाही के बाद अब कुछ राहत मिली है। हमें वो बाते कहनी चाहिए जिससे अमन बढ़े। मुझे लगता है कि नई दिल्ली को भी इस बारे में सोचना चाहिए और अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। पाकिस्तान को भी शिमला समझौते को निलंबित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। हमें अपने मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से हल करना चाहिए।’
सीएम अब्दुल्ला ने दिया यह जवाब
महबूबा मुफ्ती के बयान के जवाब में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि “वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता पाने और सीमा पार बैठे लोगों को खुश करने की अपनी अंधी लालसा के लिए सच से नजर मोड़े रहते हैं। आप यह स्वीकारने से इनकार करती हैं कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात है। मैं हमेशा से इसका विरोध करता रहा हूं और आगे भी इसे जारी रखूंगा। एक गलत संधि का विरोध करना युद्ध की लालसा करना नहीं है। यह एक ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के बारे में है, जिसके जरिए प्रदेश के लोगों को उनके हक के पानी से वंचित कर दिया गया था।”
महबूबा मुफ्ती के बयान के जवाब में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि “वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता पाने और सीमा पार बैठे लोगों को खुश करने की अपनी अंधी लालसा के लिए सच से नजर मोड़े रहते हैं। आप यह स्वीकारने से इनकार करती हैं कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात है। मैं हमेशा से इसका विरोध करता रहा हूं और आगे भी इसे जारी रखूंगा। एक गलत संधि का विरोध करना युद्ध की लालसा करना नहीं है। यह एक ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के बारे में है, जिसके जरिए प्रदेश के लोगों को उनके हक के पानी से वंचित कर दिया गया था।”