ग्लोबल टेंडर की तैयारी अंतिम चरण में” — पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा
नॉर्वे और हांगकांग के अत्याधुनिक ई-वेस्ट प्रबंधन मॉडलों का अध्ययन करने के लिए थर्ड-पार्टी विशेषज्ञ एजेंसी की नियुक्ति
“हम दुनिया के सफल मॉडलों का अध्ययन कर रहे हैं ताकि भारत का सबसे स्वच्छ, सुरक्षित और आधुनिक ग्रीन रीसायक्लिंग प्लांट बनाया जा सके,” — मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा
“हरित क्षेत्र से घिरा और ISO 9000, EN 50625, CENELEC, CPCB और MoEFCC जैसे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण मानकों के अनुरूप दिल्ली का ई-वेस्ट इको पार्क 100% ग्रीन, नेट ज़ीरो एमिशन, ज़ीरो लैंडफिल और प्रदूषण मुक्त होगा” — मनजिंदर सिंह सिरसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधुनिक सर्कुलर इकोनॉमी के विज़न के तहत इस मॉडल प्रोजेक्ट को बनाने के लिए DSIIDC द्वारा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ग्रीन टेक्नोलॉजी पार्टनर्स को आमंत्रित करने की तैयारी
(हिन्दुस्तान दर्पण संवाददाता)
नई दिल्ली। देश के पहले प्रदूषण-रहित और नेट-ज़ीरो ई-वेस्ट इको पार्क को तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, दिल्ली सरकार ने एक थर्ड-पार्टी कंसल्टेंसी को ग्लोबल स्टडी करने की जिम्मेदारी सौंपी है। इस स्टडी का उद्देश्य होलंबी कलां में एक विश्वस्तरीय सुविधा स्थापित करना है, जो ई-वेस्ट प्रबंधन और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी के नए मानक तय करेगी। मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद यह पुष्टि हुई कि ₹150 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट के लिए ग्लोबल टेंडर (RFQ-cum-RFP) की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है और इसे जल्द ही DSIIDC द्वारा जारी किया जाएगा — जो इस परियोजना की नोडल एजेंसी है। परियोजना के बारे में बताते हुए, उद्योग, पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा: “सिर्फ ढांचा खड़ा करना हमारा मकसद नहीं है, बल्कि हम चाहते हैं कि ग्रीन टेक्नोलॉजी में लोगों और सरकारों का विश्वास बढ़े। इसके लिए हम दुनिया भर के सफल मॉडलों का अध्ययन कर रहे हैं — खासकर नॉर्वे (जो बेहद इको-फ्रेंडली है) और हांगकांग में, जहां ई-वेस्ट प्लांट शहरों के बीच होते हुए भी शून्य प्रदूषण फैलाते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम सबसे स्वच्छ और सुरक्षित तकनीक अपनाएं। इससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और दिल्ली को प्रदूषण से राहत मिलेगी।” यह स्टडी निम्न बिंदुओं पर केंद्रित होगी: * ज़ीरो एमिशन और ज़ीरो लैंडफिल रीसायक्लिंग पार्क का डिज़ाइन और इंजीनियरिंग मॉडल * वैज्ञानिक तरीकों से डिस्मेंटलिंग और कचरे का सेग्रिगेशन
रेयर अर्थ और कीमती धातुओं की रिकवरी प्रणाली प्रदूषण नियंत्रण के उपाय, वायु गुणवत्ता की निगरानी और डिजिटल ट्रैकिंग अनौपचारिक ई-वेस्ट श्रमिकों के लिए कौशल विकास के साथ फॉर्मल सेक्टर से जुड़ाव घने पेड़ों की कैनोपी, ग्रीन ज़ोन और आकर्षक डिज़ाइन
“यह देश का पहला ऐसा प्लांट होगा जो ग्रीन बेल्ट से घिरा, नेट ज़ीरो एमिशन पर आधारित और वास्तव में भारत में अब तक बना सबसे हरित औद्योगिक केंद्र होगा,” — सिरसा ने कहा। 11.4 एकड़ में फैले इस ग्रीन ई-वेस्ट इको पार्क में हर साल 51,000 मीट्रिक टन से अधिक ई-वेस्ट का प्रोसेस किया जाएगा और यह ₹350 करोड़ से अधिक की रेवेन्यू जेनेरेट करेगा। साइट के 33% हिस्से में ग्रीन बेल्ट और 53% हिस्से में खुले क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं, जो एक प्राकृतिक प्रदूषण रोधक कवच का काम करेंगे। साथ ही, यह प्लांट दिल्ली में वायु, जल और मिट्टी के प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा, कीमती धातुओं की रिकवरी करेगा और अनौपचारिक श्रमिकों को फॉर्मल सेक्टर में जोड़ते हुए हजारों ग्रीन नौकरियों के अवसर पैदा करेगा।DSIIDC जल्द ही “दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ग्रीन टेक्नोलॉजी पार्टनर्स” को इस ग्लोबल बिड में आमंत्रित करेगा। यह भी तय हुआ है कि टेंडर के दायरे में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ग्रीन टेक्नॉलॉजी पार्टनर्स को शामिल किया जाएगा, ताकि यह सुविधा ग्रीन, क्लीन, नेट ज़ीरो और दिल्ली के एक मुख्य आकर्षण के रूप में विकसित हो। यह पहल दिल्ली सरकार के “विकसित दिल्ली” मिशन का हिस्सा है, जिसे मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में आगे बढ़ाया जा रहा है। यह प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्कुलर इकोनॉमी के विज़न से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें कचरे का दोबारा इस्तेमाल कर संसाधन और रोज़गार तैयार किए जाते हैं। “वेस्ट-टू-वेल्थ की यात्रा मजबूत संकल्प से शुरू होती है,” — सिरसा ने कहा। “यह इको पार्क आने वाले समय में हमारे देश की तरक्की, ई- वेस्ट निस्तारण की एक मिसाल बनेगा।”