शिमला। केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम एसजेवीएन और एनएचपीसी की बिजली परियोजनाएं टेकओवर करने को प्रदेश सरकार ने स्वतंत्र मूल्यांकन शुरू कर दिया है। बिजली कंपनियों का दावा है कि परियोजनाओं में 3397 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, सरकार इस खर्च को 1400 करोड़ से ज्यादा नहीं मान रही है। ऐसे में अब सुन्नी, लुहरी, धौलासिद्ध और डुगर बिजली परियोजना पर हुए वास्तविक व्यय के आकलन के लिए स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता को काम सौंप दिया गया है। मूल्यांकन रिपोर्ट आने के बाद बिजली परियोजनाओें के अधिग्रहण के लिए आगामी प्रक्रिया शुरू होगी। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि मूल्यांकन रिपोर्ट को लेकर उपक्रमों से विस्तृत चर्चा करने के बाद अधिग्रहण की ओर बढ़ा जाएगा।
प्रदेश सरकार ने लुहरी स्टेज-एक (210 मेगावाट), धौलासिद्ध (66 मेगावाट), सुन्नी बांध (382 मेगावाट) और डुगर (500 मेगावाट) बिजली परियोजनाओं को लेकर पूर्व सरकार के समय हुए समझौतों पर सवाल उठाते हुए कुछ संशोधन किए हैं। हिमाचल की शर्तों पर काम करने के लिए कि सरकार ने एसजेवीएन और एनएचपीसी को पेशकश भी की थी। केंद्र सरकार के समक्ष भी बिना औपचारिकताओं को पूरा किए और हिमाचल के हितों के खिलाफ हुए समझौतों का मामला उठाया गया था। केंद्र सरकार से इस बाबत सहयोग नहीं मिलने पर अब हिमाचल सरकार ने एसजेवीएन और एनएचपीसी से चार बिजली परियोजनाओं को वापस लेने का फैसला लिया है। परियोजनाओं पर हुए निवेश की जांच का भी एलान किया है।
इसके अलावा 40 साल की अवधि पूरी कर चुकी बैरा स्यूल परियोजना का भी सरकार ने अधिग्रहण करना है। बीते दिनाें केंद्र सरकार ने मुख्य सचिव को भेजे पत्र में एसजेवीएन व एनएचपीसी के साथ हुए समझौतों की शर्तों और नियमों में एकतरफा संशोधन करने का आरोप लगाया था। केंद्रीय ऊर्जा सचिव ने प्रदेश सरकार को चेताते हुए कहा था कि या तो एसजेवीएन और एनएचपीसी के साथ पारस्परिक रूप से सहमत मूल शर्तों को बहाल किया जाए या ऊर्जा उत्पादकों को ब्याज सहित खर्च की गई लागत की प्रतिपूर्ति की जाए और सरकार परियोजनाओं को अपने अधीन ले ले। इसी कड़ी में हिमाचल सरकार ने बिजली परियोजनाओं पर हुए खर्च का मूल्यांकन करवाना शुरू कर दिया है।