Jammu and Kashmir: के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर सुर्खियों में हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार के मामले में मलिक व उनके दो निजी सचिवों और चार अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। यह जानकारी 22 मई 2025 को सीबीआई अधिकारियों ने साझा की। इस खबर ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। क्योंकि मलिक ने स्वयं इस प्रोजेक्ट में रिश्वत की पेशकश का दावा किया था। किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, जो जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर प्रस्तावित है।
2019 में 2200 करोड़ रुपये के सिविल कार्यों के कॉन्ट्रैक्ट आवंटन में अनियमितताओं के लिए था। सीबीआई का आरोप है कि इस प्रोजेक्ट में ई-टेंडरिंग नियमों का पालन नहीं किया गया जिसके चलते भारी भ्रष्टाचार हुआ। मलिक, जो 2018 से 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। उन्होने दावा किया था कि उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। लेकिन, अब सीबीआई ने उन्हें ही इस मामले में आरोपी बना है। जिसे विपक्ष “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दे रहा है।
CBI का एक्शन
सीबीआई ने 2024 में मलिक के दिल्ली स्थित आवास और 30 अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान नकदी, फिक्स्ड डिपॉजिट, संपत्तियों में निवेश और डिजिटल साक्ष्य बरामद किए गए। जांच एजेंसी का कहना है कि मलिक ने एक निजी कंपनी को प्रोजेक्ट देने में विशेष सहयोग किया। मलिक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ थे। और केंद्र सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद
इस खबर से राजनीतिक हलचल हो गया है। विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस ने इसे “प्रतिशोध की राजनीति” करार दिया है। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि मलिक के खिलाफ कार्रवाई किसानों और असंतोष की आवाज को दबाने की कोशिश है। दूसरी ओर, गृह मंत्री अमित शाह ने पहले मलिक की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उन्होंने राज्यपाल रहते भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाई। यह मामला अब अदालत में जाएगा, जहां मलिक और अन्य आरोपियों को अपने खिलाफ लगे आरोपों का जवाब देना होगा। यह प्रकरण न केवल जम्मू-कश्मीर की राजनीति बल्कि केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है।