Central Government To Reduce Unempolyment: भारत में बेरोजगारी एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, और इसे सही ढंग से समझने और हल करने के लिए सटीक आंकड़ों को जानना जरूरी है। इस दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत मासिक बेरोजगारी आंकड़े जारी किए जाने की योजना बनाई जा रही है। यह कदम शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिए लागू होगा। जिससे रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति पर अधिक स्पष्टता होगी।
मासिक बेरोजगारी आंकड़ों की आवश्यकता
बता दें कि अब तक भारत में बेरोजगारी के आंकड़े तिमाही और सालाना आधार पर ही जारी किए जाते थे। शहरी क्षेत्रों के बेरोजगारी आंकड़े तिमाही में और ग्रामीण क्षेत्रों के आंकड़े सालाना जारी होते थे। यह तरीका समय-समय पर बदलती परिस्थितियों को ठीक से पकड़ने के लिए कारगर नहीं था। इसलिए सरकार ने फैसला लिया है कि फरवरी 2025 से मासिक बेरोजगारी आंकड़े जारी किए जाएंगे। यह आंकड़े शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिए उपलब्ध होंगे। जिससे रोजगार बाजार की वास्तविक स्थिति का बेहतर आकलन किया जाएगा।
नीतियां और योजनाएं प्रभावी होंगी
बता दें कि, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय इस योजना को लागू करेगा। हालांकि, मंत्रालय ने पहले से ही शहरी बेरोजगारी के आंकड़े तिमाही और ग्रामीण आंकड़े सालाना जारी करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब इसे हर महीने अपडेट करने का काम होगा। इससे श्रमिकों, नीतिकारों और अर्थशास्त्रियों को रोजगार के हालात पर ताजे और सटीक आंकड़े दिए जाएंगे। जिससे नीतियां और योजनाएं अधिक प्रभावी बन होंगी।
महिला बेरोजगारी में अंतर
हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी में कमी आई है, लेकिन महिलाओं की बेरोजगारी दर अभी भी पुरुषों से अधिक है। उदाहरण के लिए, शहरी महिला बेरोजगारी दर 8.4 फीसदी है, जबकि पुरुष बेरोजगारी दर 5.7 फीसदी है। इस अंतर को कम करने के लिए सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि, यह संकेत करता है कि महिला श्रमिकों को रोजगार के अवसरों में बराबरी का हिस्सा नहीं मिल रहा है।