चंडीगढ़। हरियाणा के लोगों का भोजन अब संतुलित नहीं रहा। एक दशक में खाने की थाली में प्रोटीन की मात्रा घट गई है, जबकि शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले वसा के सेवन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार के सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी भारत में पौष्टिक अंतर्ग्रहण के मुताबिक साल 2011 में ग्रामीण क्षेत्र के आहार में प्रति व्यक्ति औसतन 72.8 ग्राम प्रोटीन शामिल था, जो 2023 में घटकर 66.9 ग्राम पर पहुंच गई। ऐसा ही कुछ हाल शहरी क्षेत्र का है।
हरियाणा में प्रोटीन का मुख्य स्रोत अनाज व दूध, अंडे व मीट से दूरी
रिपोर्ट में बताया गया है कि हरियाणा के लोगों में प्रोटीन का मुख्य स्रोत अनाज और दूध है। ग्रामीण परिवेश का व्यक्ति अनाज से 43 फीसदी, दालों से 7.1 फीसदी और दूध व उससे बने खाद्य पदार्थ से 26.8 फीसदी प्रोटीन लेता है। राज्य में शाकाहारी ज्यादा होने की वजह से लोग अंडे, मछली व मीट का सेवन कम करते हैं। इन खाद्य पदाथों से सिर्फ 2.9 फीसदी प्रोटीन लेते हैं। वहीं, शहरी इलाकों के लोग 37 फीसदी प्रोटीन अनाज से, दालों से 8.5 फीसदी, दूध से 23.7 फीसदी और अंडे व मीट से 5.5 फीसदी प्रोटीन लेते हैं।
हरियाणा में अब खान-पान की संस्कृति में बदलाव आ गया है। पश्चिमी फूड का कल्चर बढ़ गया है। जो शहरों में बीमारियां थी, वो अब ग्रामीण क्षेत्रों में घुस जाएगी। ये जो बदलाव आ रहा है, इससे मोटापा बढ़ेगा। मोटापा बढ़ने से डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय रोग और घुटने की समस्या बढ़ेगी। हरियाणा को जो कई साल से खाना-पीना चला आ रहा था, लोगों को वही फॉलो करना होगा।