भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में अंतिम साझा घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इसके पीछे मुख्य वजह यह रही कि उस दस्तावेज में आतंकवाद, पहलगाम हमले या बलूचिस्तान का कोई जिक्र नहीं था। सूत्रों के मुताबिक, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि चीन में हुई इस बैठक के दौरान बलूचिस्तान संकट का जिक्र हुआ था लेकिन पहलगाम हमले की अनदेखी की गई, जिससे भारत नाराज हुआ।
आतंकवाद पर कोई दोहरा रवैया नहीं अपनाया जाना चाहिए- राजनाथ
लेकिन अब सूत्रों ने साफ किया है कि ये दावे पूरी तरह गलत हैं — न तो ‘बी’ (बलूचिस्तान), न ‘पी’ (पहलगाम) और न ही ‘टी’ (आतंकवाद) शब्द का जिक्र साझा दस्तावेज में कहीं भी था। इसी वजह से भारत ने इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में हुई इस बैठक में स्पष्ट शब्दों में कहा कि आतंकवाद पर कोई दोहरा रवैया नहीं अपनाया जाना चाहिए और जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, उनकी आलोचना में सदस्य देशों को पीछे नहीं हटना चाहिए।
SCO का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है- जयशंकर
वहीं विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए बताया, ‘एससीओ का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है। जब हमारे रक्षा मंत्री बैठक में गए और साझा बयान पर चर्चा हुई, तो एक देश ने आतंकवाद का जिक्र हटाने की बात कही। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो देश कौन था।’
‘सर्वसम्मति पर चलती है एससीओ की कार्यप्रणाली’
विदेश मंत्री जयशंकर ने आगे कहा, ‘रक्षा मंत्री ने साफ कहा कि अगर आतंकवाद का जिक्र नहीं किया जाएगा, तो भारत इस दस्तावेज को स्वीकार नहीं करेगा। एससीओ की कार्यप्रणाली सर्वसम्मति पर चलती है। अगर एक देश नहीं मानता, तो सभी को रुकना पड़ता है।’ विदेश मंत्रालय ने भी इस पर आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया कि आतंकवाद के मुद्दे पर आम सहमति न बनने के कारण साझा बयान नहीं जारी किया जा सका।