– संवैधानिक प्रक्रिया के तहत होता है सरकार का गठन
– राष्ट्रपति की भूमिका भी अहम होती है
– शपथ-ग्रहण के बाद साबित करना होता है बहुमत
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद केंद्र में नई सरकार बनाने की कवायद जारी है। नतीजों में किसी एक दल को तो पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, लेकिन एनडीए के पास पर्याप्त संख्या बल है। स्टेप-बाय-स्टेप सभी संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए सरकार गठन की ओर बढ़ा जा रहा है। यहां जानिए भारत में सरकार गठन की प्रक्रिया चुनाव परिणाम: चुनाव आयोग आधिकारिक तौर पर परिणाम घोषित करता है। इससे यह साफ हो जाता है कि कौन-सा दल या गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में है।
मंत्रिमंडल की आखिरी बैठक: मौजूदा सरकार की आखिरी मंत्रिमंडल बैठक होता है। बैठक में सदन को भंग करने का प्रस्ताव पारित किया जाता है।
प्रधानमंत्री का इस्तीफा: प्रधानमंत्री राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपते हैं। जब तक नई सरकार का गठन नहीं हो जाता, मौजूदा सरकार काम करती रहेगी।
संसदीय दल की बैठक: इस बीच, सबसे बड़े दल या गठबंधन के सांसदों की बैठक होती है। बैठक में नेता चुना जाता है, जो पीएम पद का उम्मीदवार होता है।
सरकार बनाने का दावा: इसके बाद सत्ता पक्ष राष्ट्रपति से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करता है। गठबंधन सरकार की स्थिति में घटक दलों की समर्थन की चिट्ठी दी जाती है। इस चरण में यह संभव है कि राष्ट्रपति अपनी तरफ से सबसे बड़े दल को सरकार बनाने और बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं।
शपथ-ग्रहण और बहुमत: इसके बाद शपथ ग्रहण की तारीख तय होती है। प्रधानमंत्री और उनके चुने हुए सांसद शपथ लेते हैं। मंत्रिमंडल की बैठक होती है। संसद का विशेष सत्र बुलाकर सरकार बहुमत साबित करती है। इसके लिए करीब 1 माह का वक्त होता है। इस तरह मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म होने से पहले ही देश को नई सरकार मिल जाती है।