– पीएम मोदी ने देशवासियों को किया था संबोधित
– पीएम ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर रखी थी बात
– अब जयराम रमेश ने जताई बयान पर आपत्ति
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर दिए भाषण में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बात रखी और इसकी जरूरत बताई। उन्होंने कहा, देश में जिस नागरिक संहिता के साथ हम जी रहे हैं वो असल में एक तरह से सांप्रदायिक नागरिक संहिता है। मैं कहूंगा कि यह समय की मांग है कि देश में एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हो। वहीं, प्रधानमंत्री के इस बयान पर कांग्रेस बयान दिया और इसे संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर का अपमान बताया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर कहा कि ‘‘यह कहना कि हमारे पास अब तक ‘‘सांप्रदायिक नागरिक संहिता’’ है, डॉ. आंबेडकर का घोर अपमान है, जो हिंदू पर्सनल लॉ में सुधारों के सबसे बड़े समर्थक थे। ये सुधार 1950 के दशक के मध्य तक वास्तविकता बन गए। इन सुधारों का आरएसएस और जनसंघ ने कड़ा विरोध किया था।’’
नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की दुर्भावना और विद्वेष की कोई सीमा नहीं है। आज के उनके लाल किले के भाषण में यह पूरी तरह से दिखा।
यह कहना कि अब तक हमारे पास कम्युनल सिविल कोड रहा है, डॉ. अंबेडकर का घोर अपमान है। डॉ. अंबेडकर हिंदू पर्सनल लॉ में सुधार के सबसे बड़े समर्थक थे, जिन्हें…
विधि आयोग का दिया हवाला
जयराम रमेश ने मोदी सरकार में बने विधि आयोग का हवाला देते हुए कहा कि “जब भारतीय संस्कृति की विविधता का जश्न मनाया जा सकता है और मनाया जाना चाहिए, तब इस प्रक्रिया में विशेष समूहों या समाज के कमजोर वर्गों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए।’
जयराम रमेश ने आगे कहा, ‘इस पर विवाद के समाधान का संकल्प सभी भिन्नताओं को खत्म करना नहीं है। इसलिए समान नागरिक संहिता न तो इस स्टेज पर जरुरी है और न ही वांछित। अधिकांश देश अब विभिन्नताओं को मान्यता देने की ओर बढ़ रहे हैं और इसका अस्तित्व भेदभाव नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत लोकतंत्र का संकेत है।’’
क्या बोले पीएम मोदी
पीएम ने कहा कि ”सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता को लेकर बार-बार चर्चा की है, कई बार आदेश दिए हैं। देश का एक बड़ा वर्ग मानता है और ये सच भी है कि जिस नागरिक संहिता के साथ हम जी रहे हैं वो असल में एक तरह से सांप्रदायिक नागरिक संहिता है। मैं कहूंगा कि यह समय की मांग है कि देश में एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हो, तभी हम धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्त हो पाएंगे।”