Kaveri Engine Project: कावेरी इंजन भारत की महत्वाकांक्षी स्वदेशी रक्षा परियोजना है। जिसका उद्देश्य देश को लड़ाकू विमानों के लिए स्वदेशी टर्बोफैन इंजन प्रदान करना है। यह परियोजना 1980के दशक में शुरू हुई थी। लेकिन हाल के कुछ सामों में यह एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। खासकर फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमान सौदे से इसके संबंध के कारण इसकी चर्चा तेज हो गई है।
कावेरी इंजन की शुरुआत और उद्देश्य
बता दें, कावेरी इंजन परियोजना की शुरुआत साल 1986में हुई थी। जब DRDO को स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस के लिए एक टर्बोफैन इंजन विकसित करने का जिम्मा सौंपा गया। इसका नाम दक्षिण भारत की कावेरी नदी के नाम पर रखा गया। इस परियोजना का लक्ष्य था कि भारत विदेशी इंजनों पर निर्भरता कम करे और अपने लड़ाकू विमानों के लिए एक विश्वस्तरीय इंजन विकसित करे।
इस परियोजना को साल 1989में मंजूरी दी गई। जिसके लिए 93महीनों की समयसीमा और 553मिलियन डॉलर का बजट निर्धारित किया गया था। कावेरी को एक लो-बायपास ट्विन-स्पूल टर्बोफैन इंजन के रूप में डिजाइन किया गया। जो 81किलो-न्यूटन (kN) का वेट थ्रस्ट (आफ्टरबर्नर के साथ) और 52 kN का ड्राई थ्रस्ट प्रदान करने में सक्षम हो। यह इंजन तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमानों के लिए उपयुक्त था जो उच्च गति और सुपरमैन्यूवरेबिलिटी की मांग करता है।
कावेरी इंजन और राफेल सौदे का संबंध
कावेरी इंजन और फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमान सौदे के बीच संबंध 2016में भारत द्वारा 36राफेल जेट खरीदने के सौदे से उभरा। इस सौदे की कीमत 7.87बिलियन यूरो थी। जिसमें एक ऑफसेट क्लॉज शामिल था। जिसके तहत फ्रांसीसी कंपनियों, जैसे – डसॉल्ट एविएशन और सैफरान (जो राफेल के M88इंजन का निर्माता है), को सौदे की 50%राशि (लगभग 3.9बिलियन यूरो) भारत के रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश करना था। साल 2016में फ्रांस ने कावेरी परियोजना को पुनर्जनन के लिए 1बिलियन यूरो के निवेश की पेशकश की।
फ्रांसीसी कंपनी सैफरान ने प्रस्ताव दिया कि वह अपने M88 इंजन की तकनीक साझा करेगी। जो राफेल जेट को शक्ति प्रदान करता है, ताकि कावेरी को उन्नत किया जा सके। सैफरान ने M88 की उन्नत तकनीकों जैसे सिंगल-क्रिस्टल ब्लेड्स और हाई-प्रेशर टर्बाइन, को कावेरी में एकीकृत करने का सुझाव दिया। 20 नवंबर 2016 को DRDO के वैमानिकी क्लस्टर के महानिदेशक सी.पी. रामनारायणन ने पुष्टि की कि सैफरान के साथ साझेदारी तय हो गई थी, और 2018 तक इंजन को तेजस पर एकीकृत और परीक्षण करने की योजना थी।