इंदौर। 20 जुलाई रविवार की रात पीथमपुर के समीप आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राज मार्ग पर इंदौर से पुणे जा रही इंटरसिटी बस जलकर राख हो गई। बस को कंटेनर ने टक्कर मार दी थी। इसमें आठ यात्री घायल हुए लेकिन शुक्र था कि बस में आग लगने से पहले यात्री उतर गए थे। टक्कर के बाद बस का मेनडोर डेमेज हो चुका था। यदि समय रहते कंडक्टर और एक यात्री ने मिलकर इमरजेंसी गेट नहीं खोला होता तो 40 यात्री बस में ही जिंदा जल जाते। बस में देवास निवासी शैलेन्द्र बामनिया भी सवार थे। वे पुणे की एक कंपनी में नौकरी करते हैं। शैलेन्द्र बामनिया ने अमर उजाला को इस हादसे से जुड़ी अपनी आपबीती बताई।
आग लगने वाली है कूदो बाहर
‘बस के अंदर यात्री चिल्लाने लगे थे। महिलाएं और बच्चे रो रहे थे। एक युवती के पैर की हड्डी क्रेक हुई। वह उठ नहीं पा रही थी। एक यात्री की नाक से खून बह रहा था। अन्य कुछ यात्रियों के शरीर में भी कांच घुस गए थे। धुआं भरने के कारण यात्री बाहर निकलने की जल्दबाजी करने लगे। भीतर कुछ यात्री चिल्ला रहे थे कि आग लगने वाली है बस से बाहर कूदो।’
ड्राइवर को सीट तोड़ कर निकाला
‘यात्री तो निकल चुके थे, लेकिन ड्राइवर के दोनों पैर स्टीयरिंग और सीट के बीच फंस गए थे। कंडक्टर ने बस से राॅड निकाली और उससे ड्राइवर की सीट को तोड़ा। तब तक केबिन में धुआं ही धुआं हो रहा था। दो यात्री भी मदद के लिए आए और ड्राइवर को गोद में उठाकर सड़क के एक तरफ बैठा दिया। उसके दोनों पैरों की हड्डी टूट गई थी।’