जयपुर।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने देश की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है। इस इस्तीफे को लेकर जहां एक ओर सत्ता पक्ष मौन साधे हुए है। वहीं विपक्ष सवालों की झड़ी लगाए हुए है। खासतौर पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस घटनाक्रम को लेकर न सिर्फ आरएसएस और बीजेपी पर सीधे सवाल उठाए हैं, बल्कि इसे देश के लिए चौंकाने वाली और संशय पैदा करने वाली स्थिति बताया है।
गहलोत ने सबसे बड़ा सवाल तब उठाया, जब उन्होंने कहा कि खबरें हैं कि सरकार उपराष्ट्रपति को कोई औपचारिक फेयरवेल नहीं देने वाली। उन्होंने इस रवैये को चौंकाने वाला दुखदऔर शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यवहार खुद में कई सवाल खड़े करता है और इससे यह आशंका गहरी होती है कि मामला केवल स्वास्थ्य कारणों तक सीमित नहीं है।
10 दिन पहले ही जताई थी आशंका
गहलोत ने याद दिलाया कि उन्होंने दस दिन पहले ही जोधपुर में सार्वजनिक मंच से कहा था कि उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष दोनों ही दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धनखड़ साहब ने इसके जवाब में जयपुर में बयान दिया था कि मैं किसी दबाव में नहीं हूं, लेकिन कहना और हकीकत होना दो अलग बातें हैं।
बीजेपी-आरएसएस के किसी बड़े मूव की आशंका
इस पूरे प्रकरण को गहलोत ने राष्ट्रीय राजनीति के बड़े खेल से जोड़ते हुए कहा कि कहीं यह बीजेपी और आरएसएस का कोई बड़ा मूव तो नहीं है, जिसे आम जनता से छिपाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य घटना नहीं है। यह किसी अंदरूनी रणनीति की आहट हो सकती है, जिसे बाद में देश को भुगतना पड़े।
गहलोत ने उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के लिए दिए गए स्वास्थ्य कारण को भी संदेह के घेरे में बताया। उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसे उदाहरण हैं जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बाईपास सर्जरी तक हुई, लेकिन उन्होंने पद नहीं छोड़ा। ऐसे में उपराष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पद से अचानक इस्तीफा समझ से परे है।
राजस्थान को गहरा धक्का
धनखड़ राजस्थान से आते हैं और लंबे समय तक किसान मुद्दों के लिए मुखर रहे हैं। गहलोत ने कहा कि एक ऐसे व्यक्ति का अचानक इस्तीफा देना न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए झटका है। उन्होंने कहा कि राजस्थान का बेटा जब संसद के सर्वोच्च पदों में से एक पर हो और बिना किसी सार्वजनिक पूर्व सूचना के पद छोड़ दे, तो ये हर राज्यवासी के लिए गहरी पीड़ा देने वाली बात है