(सुशील देव)
नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत को वैश्विक खाद्य तेल बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए उद्योग को मूल्य संवर्धन और नवाचार को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि रिफाइनिंग, प्रोसेसिंग, कृषि तकनीकों और सार्वजनिक-निजी भागीदारी में निवेश के ज़रिए भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ सकता है। वे इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) द्वारा यहां आयोजित दो दिवसीय ग्लोबल राउंड टेबल 4.0 में वीडियो संदेश के माध्यम से बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आयात पर निर्भरता कम करने और कीमती विदेशी विनिमय को सुरक्षित रखने के लिए हमारी सरकार खाद्य तेलों में ‘आत्मनिर्भरता’ के लक्ष्य की ओर कार्यरत है। सम्मेलन का विषय था “नेवीगेटिंग टेक्टोनिक ग्लोबल शिफ्ट्स”, जिसमें देश—विदेश के विभिन्न कंपनियों के कई प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में खाद्य मंत्रालय के सचिव संजीव चौपड़ा ने बताया कि देश की खाद्य तेल आवश्यकता का 55-60% हिस्सा अभी भी आयात से पूरा होता है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की नई योजना पीएम धन-धान्य कृषि योजना के तहत 100 ज़िलों में मिशन मोड में काम किया जाएगा। इसके अलावा, नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स–ऑयलसीड्स के तहत वर्ष 2030-31 तक तेल बीज उत्पादन को 390 एलएमटी से 697 एलएमटी तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन यानी आईवीपीए के अध्यक्ष सुधांकर देसाई ने सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए संतुलित शुल्क संरचना और स्थायी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।