नाै सदस्यीय कमेटी गठित
तीनों मरीजों की मौत के बाद जांच के लिए मेडिकल सुपरिटेंडेंट सिविल अस्पताल जालंधर डॉ. राजकुमार ने 9 सदस्यीय कमेटी गठित की थी। इस कमेटी को साेमवार को सेहत मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने भंग कर हेल्थ डायरेक्टर, इंजीनियरिंग विंग के एक्सईएन और एक्सपर्ट को जांच सौंपते हुए 48 घंटे में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
सोमवार सुबह सेहत मंत्री के अलावा दोपहर में मंत्री मोहिंदर भगत भी अस्पताल पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। बसपा के पंजाब प्रधान अवतार सिंह करीमपुरी ने कहा कि सरकार मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये और घर के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे। गलती स्वास्थ्य विभाग से हुई है और इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। वहीं भाजपा ने तीनों मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
25-30 मिनट ऑक्सीजन बाधित हुई : डायरेक्टर हेल्थ
टेक्निकल जांच देख रहे डायरेक्टर हेल्थ अनिल अग्रवाल ने भी माना कि 25-30 मिनट के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई आईसीयू में बाधित हुई थी। ट्रॉमा सेंटर में उपचाराधीन सभी मरीज सीरियस थे। इनमें तीन की मौत हो गई जबकि दो की हालत काफी बिगड़ गई थी। उन दोनों को उपचार के बाद बचा लिया गया। डायरेक्टर ने यह भी स्पष्ट किया कि घटना के वक्त नियमित ऑपरेटर नरिंदर छुट्टी पर था और उसकी जगह लगाए नए कर्मचारी दीपक की भूमिका भी जांच के घेरे में है।
चंडीगढ़ की टीम ने जांच की, परिजनों और स्टाफ के बयान लिए
चंड़ीगढ़ से आई स्वास्थ्य विभाग की टीम ने प्राथमिक जांच के तहत मृतकों के परिजनों, ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों और अस्पताल कर्मियों के बयान दर्ज कर लिए हैं। ट्रॉमा सेंटर के ऑक्सीजन प्लांट की फिजिकल और फंक्शनल जांच शुरू कर दी गई है। आईसीयू में लगे सभी जरूरी उपकरणों की भी जांच की जा रही है।
डायरेक्टर ने साफ किया कि यह नहीं कह सकते कि सप्लाई पूरी तरह बंद हो गई थी। सप्लाई सिस्टम में लगे मैनिफोल्ड बैकअप सिस्टम की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठे हैं। अब यही जांच की जा रही है कि बैकअप समय पर क्यों नहीं चला। तकनीकी एक्सपर्ट को बुलाकर भी प्लांट की पूरी जांच करवाई गई है। एक्सपर्ट्स से लिखित रिपोर्ट भी ली गई है, जिसे जांच रिपोर्ट में जोड़ा गया है। पूरी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी। यदि किसी की लापरवाही साबित होती है तो कार्रवाई की जाएगी।
सरकार मौत के सही कारण छिपा रही है: परगट सिंह
कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने आरोप लगाया है कि मृतकों का पोस्टमॉर्टम नहीं करवाया गया, जिससे मौत के सही कारण की पुष्टि नहीं हो सकी। सरकार लोगों की मौत की वजह को सामने नहीं आने देना चाहती है क्योंकि इनके स्वास्थ्य एजेंडे की धज्जियां उड़ जाएंगी।