वॉशिंगटन। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने बच्चों के लिए फ्लोराइड सप्लीमेंट्स के उपयोग पर सख्ती दिखाते हुए नई सीमाएं तय की हैं। नई गाइडलाइन के तहत, अब तीन साल से कम उम्र के बच्चों को ये सप्लीमेंट नहीं दिए जाएंगे, जबकि बड़े बच्चों को भी केवल उन्हीं मामलों में इसकी अनुमति होगी, जहां दांतों में गंभीर सड़न या क्षय का खतरा हो। एजेंसी का कहना है कि यह कदम बच्चों की सुरक्षा और दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। पहले ये सप्लीमेंट्स छह महीने के बच्चों तक को दिए जा सकते थे। अब एफडीए ने चार कंपनियों को चेतावनी पत्र भेजकर कहा है कि वे अपने उत्पादों का विपणन नए दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही करें।
नई रिपोर्ट में चौंकाने वाले निष्कर्ष
एफडीए की नई वैज्ञानिक रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्लोराइड सप्लीमेंट्स के लाभ सीमित हैं, जबकि इसके संभावित स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि इन सप्लीमेंट्स का आंत के माइक्रोबायोम, वजन बढ़ने और संज्ञानात्मक क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
एजेंसी ने कहा जिस तरह फ्लोराइड दांतों पर बैक्टीरिया को खत्म करता है, उसी तरह यह आंत के माइक्रोबायोम को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव पड़ सकते हैं। एफडीए ने दंत चिकित्सकों और स्वास्थ्य प्रदाताओं को भी एक नोटिस जारी करते हुए सावधानी बरतने की सलाह दी है।
ADA ने किया निर्णय का विरोध
अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन ने एफडीए के निर्णय का विरोध किया है। एसोसिएशन का कहना है कि डेंटिस्ट द्वारा सुझाई गई मात्रा में फ्लोराइड से कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं होती। हालांकि, एफडीए ने स्वीकार किया कि फ्लोराइड की अधिकता से दांतों पर दाग या धब्बे पड़ सकते हैं।
ग्रामीण अमेरिका में असर की आशंका
दंत विशेषज्ञों का मानना है कि फ्लोराइड सप्लीमेंट्स पर रोक से ग्रामीण इलाकों में दंत समस्याएं बढ़ सकती हैं, जहां पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा बहुत कम होती है। वहीं, स्वास्थ्य सचिव रॉबर्ट एफ. केनेडी जूनियर ने पहले से ही अमेरिका में पीने के पानी में फ्लोराइड मिलाने की नीति को समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
फ्लोराइड क्या करता है?
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, फ्लोराइड दांतों को मजबूत बनाता है और कैविटी से बचाव में मदद करता है। यह दांतों से खनिजों की कमी को पूरा कर उन्हें क्षरण से बचाता है। 1962 में CDC ने तय किया था कि पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा कितनी होनी चाहिए, ताकि दांत स्वस्थ रहें। लेकिन अब केनेडी का कहना है कि फ्लोराइड एक खतरनाक न्यूरोटॉक्सिन है, जो शरीर में कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
हालांकि एफडीए का यह कदम फिलहाल टूथपेस्ट, माउथवॉश या दंत चिकित्सकों द्वारा दिए जाने वाले फ्लोराइड उपचार पर असर नहीं डालेगा। ये उत्पाद अभी भी सुरक्षित और बाजार में उपलब्ध रहेंगे।

