(अजय मेहरा)
नई दिल्ली: “डॉ. अंबेडकर की विरासत हमें याद दिलाती है कि लोकतंत्र तभी सुदृढ़ रहता है, जब न्याय, समानता और मानव गरिमा हर संस्था का मार्गदर्शन करें” — यह विचार दिल्ली विधान सभा के अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने आज विधान सभा परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 70वीं महापरिनिर्वाण दिवस पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर विधायक श्री संजय गोयल तथा दिल्ली विधान सभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे और सभी ने भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पकार को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि डॉ. अंबेडकर द्वारा भारतीय संविधान की प्रारूप समिति का नेतृत्व भारत के लिए न्याय, समानता और व्यक्तिगत गरिमा के प्रति समर्पित एक सुदृढ़ संवैधानिक ढांचे की नींव बना। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर की संवैधानिक दृष्टि आज भी देश के लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए नैतिक मार्गदर्शक बनी हुई है।
माननीय अध्यक्ष ने स्मरण किया कि सामाजिक भेदभाव पर विजय पाते हुए डॉ. अंबेडकर की प्रेरणादायक जीवन यात्रा और स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण में उनकी निर्णायक भूमिका दृढ़ता, प्रज्ञा और परिवर्तनकारी नेतृत्व का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर का कार्य लोकतांत्रिक शासन को सुदृढ़ बनाने और समाज के सभी वर्गों को अवसर प्रदान करने की दिशा में निरंतर प्रेरणा देता है।
श्री गुप्ता ने कहा कि महापरिनिर्वाण दिवस केवल डॉ. अंबेडकर के योगदान को स्मरण करने का दिवस नहीं, बल्कि संवैधानिक नैतिकता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को पुनः सुदृढ़ करने का भी अवसर है। उन्होंने कहा, “डॉ. अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि यही है कि हम निष्पक्षता, संवाद और समान सहभागिता जैसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कायम रखें।”
माननीय अध्यक्ष ने आश्वस्त किया कि दिल्ली विधान सभा नागरिक शिक्षा, संवैधानिक जागरूकता और उन पहलों को बढ़ावा देती रहेगी, जो डॉ. अंबेडकर के समावेशी एवं प्रगतिशील भारत के स्वप्न को साकार करने में सहायक हैं।

