New Delhi : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि परिवार, शादी, सिर्फ शारीरिक संतुष्टि का जरिया नहीं है। यह समाज की एक इकाई है।
भागवत ने आगे कहा कि परिवार वह जगह है जहां एक व्यक्ति समाज में रहना सीखता है। लोगों के मूल्य वहीं से आते हैं। उन्होंने रविवार को कोलकाता में RSS के कार्यक्रम में यह बात कही।
परिवार के बारे बात करते हुए भागवत ने कहा कि शादी की उम्र तय करने का कोई फॉर्मूला नहीं है। लेकिन रिसर्च से पता चलता है कि शादी 19 से 25 साल की उम्र के बीच की जा सकती है।
कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अंडमान और निकोबार के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल (रिटायर्ड) डीके जोशी भी मौजूद थे।
‘परिवार समाज को आकार देता है’
भागवत ने कहा कि परिवार इकाई संस्कृति, अर्थव्यवस्था का संगम है और कुछ मूल्यों को अपनाकर समाज को आकार देती है।
भागवत के बयान की 4 बड़ी बातें…
- कितने बच्चे होने चाहिए, यह परिवार में तय होता है। पति और पत्नी, और समाज। कोई फॉर्मूला नहीं दिया जा सकता। मैंने डॉक्टरों वगैरह से बात करके कुछ ज्ञान प्राप्त किया है और वे कहते हैं कि अगर शादी जल्दी, 19-25 साल की उम्र के बीच होती है, और तीन बच्चे होते हैं, तो माता-पिता और बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- भारतीय जनसंख्या को प्रभावी ढंग से प्रबंधित नहीं किया गया है। हमने आबादी को प्रभावी ढंग से मैनेज नहीं किया है। आबादी एक बोझ है, लेकिन यह एक संपत्ति भी है।
- हमें अपने देश के पर्यावरण, इंफ्रास्ट्रक्चर, सुविधाओं, महिलाओं की स्थिति, उनके स्वास्थ्य और देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 50 साल के अनुमान के आधार पर एक पॉलिसी बनानी चाहिए।
- डेमोग्राफर कहते हैं कि अगर जन्म दर तीन से कम हो जाती है, तो आबादी घट रही है, और अगर यह 2.1 से कम हो जाती है, तो यह खतरनाक है। अभी, हम सिर्फ बिहार की वजह से 2.1 पर हैं; नहीं तो, हमारी दर 1.9 है।
‘लोग समझते हैं कि RSS हिंदुओं की सुरक्षा की वकालत करता है’
भागवत ने कहा कि अभी लोगों के मन में RSS की धारणा सही हो गई है, लोग समझ रहे हैं कि संगठन हिंदुओं की सुरक्षा की वकालत करता है, और कट्टर राष्ट्रवादी है, लेकिन मुस्लिम विरोधी नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि संगठन लोगों के मन से किसी भी गलत धारणा को दूर करने की कोशिश करेगा, लेकिन जो सीखना नहीं चाहता, उसकी मदद नहीं की जा सकती।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कोलकाता में कहा कि संघ को BJP के लेंस से देखने की कोशिश न करें। संघ सिर्फ एक सर्विस ऑर्गनाइजेशन नहीं है। संघ को समझना है तो संघ को ही देखना पड़ता है।

