– हेमा मालिनी को मथुरा सीट से हैट्रिक की उम्मीद।
– हेमा मालिनी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी।
– सपा व बसपा ने उतारे जाट उम्मीदवार।
मथुरा। उत्तर प्रदेश की मथुरा सीट देश की वीवीआईपी सीटों में से एक है। भाजपा ने अभिनेत्री हेमा मालिनी को मथुरा लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। वह यहां से 2014 व 2019 में लगातार दो बार जीतकर संसद पहुंची थीं। अब उनको हैट्रिक का इंतजार है, लेकिन सपा व बसपा ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। ऐसे में यह मथुरा में हेमा मालिनी फंसती नजर आ रही हैं। सपा ने मुकेश धनगर और बसपा ने सुरेश सिंह को मौका दिया है।
जाट बहुल्य सीट है मथुरा
मथुरा लोकसभा सीट से बाहरी उम्मीदवार जीतते रहे हैं। इन आंकड़ों को देखकर हेमा मालिनी के लिए यह सीट आसान लगती है, लेकिन इस बार ऐसा है नहीं। मथुरा से कोई भी उम्मीदवार लगातार तीन बार चुनाव नहीं जीत पाया है। कांग्रेस ने यहां से पहली बार 1962 में जीत का स्वाद चखा था। भाजपा को 1991 में राम मंदिर लहर में जीत मिली थी। इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी चुनाव हार चुके हैं।
जाट बहुल्य सीट है मथुरा
मथुरा में जीत का मंत्र धुव्रीकरण की राजनीति में छुपा हुआ है। इस बार यहां राम मंदिर व श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद बड़ा मुद्दा हैं। भाजपा ने इन्हीं के सहारे अपनी नैया पार लगाने की कोशिश की है। सपा ने मुकेश धनगर और बसपा ने सुरेश सिंह को टिकट दिया है। दोनों ही दल जाट व मुस्लिम समाज के कॉकटेल के भरोसे हैं। मथुरा लोकसभा सीट जाट बहुल्य है। हेमा मालिनी भी इसी कारण खुद को जाट ही बताती हैं, क्यों कि उनकी धर्मेंद्र से हुई है।