Noida: सेक्टर-115 स्थित सीवेज पंपिंग स्टेशन में शनिवार को सीवेज टैंक में गिरने से दो श्रमिकों की मौत हो गई। दोनों सफाई कर रहे थे। आरोप है कि उन्हें कोई सुरक्षा उपकरण नहीं दिया गया था। जहरीली गैस के संपर्क में आने पर वे बेहोश होकर टैंक में गिर गए। पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज करके आरोपी ठेकेदार पुष्पेंद्र कुमार सिंह निवासी सेक्टर-41 और अजीत निवासी लडपुरा छतारी बुलंदशहर को गिरफ्तार कर लिया है।
जल विभाग के जीएम के दावों को पीड़ित परिवार ने झूठ करार दिया
इस सीवेज पंपिंग स्टेशन पर सेक्टर-116, 112, 113, सोहरखा का सीवर आता है। इसे पंपिंग स्टेशन के जरिये सेक्टर-123 एसटीपी भेजा जाता है। ऐसे में सुरक्षा उपकरण न होने के गंभीर आरोप से प्राधिकरण के जल विभाग की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में है। जल विभाग के जीएम आरपी सिंह का दावा है कि सुरक्षा उपकरण व मानकों का पालन किया गया था। हालांकि अधिकारियों के इस दावे को मृतकों के परिवार झूठ करार दे रहे हैं।
छह-छह लाख मुआवजा और पत्नी को नौकरी देने का दावा
जीएम ने यह भी दावा किया कि मृतकों के परिवारों को 6-6 लाख रुपये का मुआवजा, अंतिम संस्कार के लिए 50-50 हजार रुपये दिलवाए गए हैं। एक मृतक की पत्नी को प्राधिकरण में संविदा पर नौकरी देने की बात भी कही गई है।
…और उजड़ गए दो परिवार
इस हादसे में दो परिवार उजड़ गए। खुशाल और विकास दोनों की शादी हो चुकी है। दोनों रोजी-रोटी की तलाश में यहां आए थे। बृजेश ने बताया कि खुशाल की दो बेटियां हैं। उनकी पत्नी सात महीने की गर्भवती भी हैं।
सीईओ ने बैठाई जांच, रिपोर्ट तलब
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम ने कहा कि स्पष्ट निर्देश हैं कि बगैर सुरक्षा उपकरण के श्रमिकों से काम न कराया जाए। ऐसे में यह हादसा चिंताजनक है। पूरे प्रकरण की जांच के निर्देश जारी किए गए हैं। जल विभाग के जीएम आरपी सिंह से रिपोर्ट मांगी गई है। जीएम बताएंगे कि दो श्रमिकों की मौत कैसे हुई?
पहले भी हो चुके हैं हादसे
नोएडा प्राधिकरण से जुड़ी परियोजनाओं में पहले भी हादसों में कई श्रमिकों की मौत हो चुकी है। सेक्टर-21 में 20 सितंबर, 2022 को नाला निर्माण में बाउंड्रीवॉल ढही थी। मलबे के नीचे दबकर 4 मजदूरों की मौत हुई थी और 5 घायल हुए थे। जांच में तत्कालीन डीजीएम श्रीपाल भाटी के खिलाफ शासन से कार्रवाई हुई थी। मई 2024 में सेक्टर-26 में निजी सीवर सॉफ्ट की सफाई के लिए उतरे दो श्रमिकों की मौत हो गई थी। इसे राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग ने संज्ञान में लिया था