आपदा, पुनर्वास, जनहित से जुड़े साढ़े पांच सौ प्रश्न गूंजेंगे सदन में
आईटीआई रुड़की की मदद से विधानसभा भवन की ध्वनि व्यवस्था को बनाया गया है बेहतर -ऋतु खंडूड़ी, विधानसभा अध्यक्ष
(महेंद्र कुमार सिंह)
देहरादून। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (भराड़ीसैंण) एक बार फिर राजनीतिक हलचल का केंद्र बनने जा रही है। यहां 19 अगस्त से 22 अगस्त तक चार दिवसीय विधानसभा सत्र आयोजित होगा। इस सत्र को लेकर सरकार ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज गैरसैंण के भराड़ीसैंण पहुंचे, जहां जिलाधिकारी संदीप तिवारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार ने उनका स्वागत किया। इस दौरान पुलिस बल ने मुख्यमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया।
इस मानसून सत्र में साढ़े पांच सौ प्रश्न सदन में रखे जाएंगे। इनमें से कई प्रश्न आपदा, राहत, पुनर्वास और जनहित से जुड़े होंगे। विपक्ष ने साफ संकेत दिया है कि वह सरकार को इन मुद्दों पर कठघरे में खड़ा करेगा। उधर, सरकार का दावा है कि सत्र के सुचारु संचालन के लिए सभी प्रशासनिक और तकनीकी इंतज़ाम पूरे कर लिए गए हैं।
प्रदेश इन दिनों लगातार बारिश और भूस्खलन से जूझ रहा है। पहाड़ी जिलों में सड़कें टूट गई हैं, मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं और कई जगहों पर जनहानि भी हुई है। विपक्ष और जनता की उम्मीद है कि इस सत्र में आपदा प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास, राहत पैकेज, और आपदा प्रबंधन की नीति पर गंभीर चर्चा होगी।
इस बार गैरसैंण सत्र का सबसे बड़ा इम्तिहान मौसम रहेगा। मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। ऐसे में सैकड़ों विधायक, अधिकारी, कर्मचारी और सुरक्षा बल जब भराड़ीसैंण पहुंचेंगे तो प्राकृतिक परिस्थितियां सत्र को प्रभावित कर सकती हैं। बारिश से सड़कें बाधित होने और आवाजाही मुश्किल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने कहा कि गैरसैंण विधानसभा सत्र के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। विधानसभा भवन को डिजिटल सुविधाओं से लैस कर दिया गया है। साथ ही, आईआईटी रुड़की की मदद से सदन की ध्वनि व्यवस्था को और बेहतर बनाया गया है ताकि बहस के दौरान कोई तकनीकी समस्या न हो। ऋषिकेश-श्रीनगर राजमार्ग के खराब हिस्सों को भी सुधारा जा रहा है, ताकि यात्रा सुगम हो सके।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि भारी बारिश और आपदा का हवाला देकर सत्र को भराड़ीसैंण से हटाने का प्रयास विपक्ष को मंज़ूर नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश आपदा से जूझ रहा है। जनता की समस्याओं को उठाना हमारी ज़िम्मेदारी है और हम सत्र में हर हाल में यह मुद्दे रखेंगे।
इस मानसून सत्र में सरकार को दोहरी चुनौतियों का सामना करना होगा। एक ओर विपक्ष तेज सवालों की बौछार के लिए तैयार बैठा है, तो दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाओं और मौसम की मार से निपटना भी आसान नहीं होगा। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि गैरसैंण का यह मानसून सत्र कितनी सुगमता से संपन्न हो पाता है।