– सभी जिलों में अपना खुद का परीक्षा केंद्र बनाने की करनी होगी पहल
– एनटीए को खुद के इन्फ्रास्ट्रक्चर और मैन-पावर जुटाने पर देना होगा जोर
– परीक्षा केंद्रों के चयन, पेपर छापने, पहुंचाने और सुरक्षा का रखना होगा ध्यान
नई दिल्ली। परीक्षा से जुड़ी गड़बडि़यों और पेपर लीक की घटनाओं के बाद सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) में बड़े सुधार का ऐलान किया है। जिसके लिए एक उच्च कमेटी भी गठित की है, जो अगले दो महीने के भीतर इससे जुड़े सुझाव देगी। कमेटी के क्या सुझाव होंगे यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा, लेकिन यदि एनटीए को अपनी साख बेहतर रखनी और बगैर किसी गड़बडी-पेपर लीक के परीक्षाओं को आयोजित करना है तो उसे सबसे पहले अपने खुद के तंत्र को मजबूत बनाना होगा।
एजेंसियों के चयन को लेकर सख्त मापदंड तैयार
साथ ही निजी कंपनियों और ठेके वाली व्यवस्था पर से निर्भरता कम करनी होगी। एजेंसियों के चयन को लेकर सख्त मापदंड तैयार करने होंगे और लगातार उसकी निगरानी की भी अलग व्यवस्था खड़ी करनी होगी। एनटीए को इस दौरान जो अहम पहल करनी चाहिए, उसमें उसे अपना खुद का एक अमला तैयार करना चाहिए। या फिर ऐसी एक कंपनी खड़ी करनी चाहिए, जहां प्रत्येक व्यक्ति की नियुक्ति जांच- परख के बाद ही हो। साथ ही उसे परीक्षा को सुरक्षित तरीके से कराने का प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए।
जैमर व हैकिंग से बचने के सर्किट जैसे इंतजाम
एनटीए को समय- समय पर दुनिया भर में बड़ी परीक्षाओं में अपनायी जाने वाली तकनीक का भी अध्ययन करना चाहिए और अपनाना चाहिए। इसके साथ ही मौजूदा स्थितियों में जब करीब हर महीने एनटीए के पास किसी न किसी एक परीक्षा का जिम्मा रहता है, ऐसे में उसे किराये या फिर निजी कंपनियों द्वारा सुझाए गए परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा कराने की जगह प्रमुख शहरों व जिलों में खुद का अपना परीक्षा केंद्र तैयार करना चाहिए। जहां खुद का सारा सेटअप हो। यानी परीक्षा कंप्यूटर आधारित हो तो वहां उसके खुद के ही कंप्यूटर हो, जहां जैमर व हैकिंग आदि से बचने के सर्किट जैसे इंतजाम हो।
परीक्षा से जुड़े फैसले बोर्ड के जरिए लिए जाए
परीक्षा से जुड़ी गड़बड़ी को लेकर एनटीए का शीर्ष नेतृत्व भी सवाल के घेरे में है। शिक्षा मंत्रालय ने अपनी जांच के बाद एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह को हटा दिया है। कहा जा रहा है कि यूजीसी-नेट की परीक्षा पेन- पेपर से कराने की फैसला उन्होंने ही लिया था। ऐसे में जरूरी है कि परीक्षा से जुडा कोई भी फैसला एक व्यक्ति के बजाय एक ओपन बोर्ड या फिर कमेटी में लिया जाना चाहिए। ताकि परीक्षा से जुड़ा कोई भी बदलाव एक व्यक्ति के बजाय सामूहिक निर्णय के आधार पर लिया जा सके।
सेवानिवृत्ति अधिकारियों और प्राध्यापकों को बनाया जाए ऑब्जर्वर
एनटीए की ओर से प्रत्येक परीक्षाओं के लिए ऑब्जर्वर भी नियुक्ति किए जाते है, लेकिन वे ज्यादातर आसपास के और प्राइवेट संस्थानों के शिक्षक होते है। परीक्षा से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक, एनटीए को इसमें भी सुधार करना चाहिए। उसे निर्वाचन आयोग की तरह सेवानिवृत्त अधिकारियों को पर्यवेक्षक बनाना चाहिए या फिर जरूरत होने पर उन्हें विश्वविद्यालयों और कालेजों के सेवानिवृत्त प्राध्यापकों की भी मदद लेनी चाहिए। किसी को ऑब्जर्वर की जिम्मेदारी देने से पहले उसकी पूरी जांच-परख की जानी चाहिए।