केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज दिल्ली में हर साल प्रदूषण से होने वाली भयानक समस्या से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की। केंद्रीय वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के कृषि मंत्री, दिल्ली के वन पर्यावरण मंत्री, राज्यों के मुख्य सचिव और कृषि सचिव सहित प्रमुख अधिकारी इस बैठक में वर्चुअली शामिल हुए।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान ने पराली जलाने के मुद्दे पर उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक के बाद शिवराज ने कहा कि दिल्ली प्रदूषण के मुद्दे और उसका समाधान खोजने के लिए आज एक अहम बैठक हुई। उन्होंने कहा कि पिछले साल से इस साल तक पंजाब में पराली जलाने में 35ः और हरियाणा में 21ः की कमी आई है। राज्यों ने कहा है कि वे लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं और उन्होंने इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि जागरूकता के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र सरकार के मंत्रियों और राज्य सरकारों के मंत्रियों के साथ एक संयुक्त बैठक हुई। आज की बैठक में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री शामिल हुए। उन्होंने कहा कि मैंने आज की बैठक से पहले 2-3 महत्वपूर्ण बिंदु रखे हैं। पहला, आने वाले दिनों में पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने की जरूरत है और दूसरा दिवाली पर जलाए जाने वाले पटाखे। राय ने कहा कि पटाखों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार के साथ-साथ एनसीआर की सभी सरकारों को इस संबंध में ठोस कदम उठाने चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी में अनुकूल हवाओं के कारण शनिवार सुबह वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ, हालांकि तब भी वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 227 दर्ज किया गया जबकि शुक्रवार सुबह यह 281 था। शुक्रवार को शाम चार बजे तक 24 घंटे का औसत एक्यूआई 270 दर्ज किया गया।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान ने बताया कि पराली जलाने से नुकसान होता है, आग लगने से गन्ने के पत्ते या बाकी चीज भी जलती हैं, आग लगने से फसल के अलावा धरती मां का स्वास्थ्य भी बिगड़ा है, कीट भी मारे जाते हैं, धरती कड़ी हो जाती है, उर्वरकता कम होती जाती है। उन्होंने कहा कि व्यापक पैमाने पर जन जागरण अभियान चल रहा है। उसे और प्रभावी ढंग से केंद्र और राज्य मिलकर कैसे चलाएं, उसका प्रयत्न करेंगे। पिछले वर्षों में सब्सिडी पर केंद्र सरकार ने 3 लाख से ज्यादा मशीनें दी हैं। जो जलाने की बजाए पराली प्रबंधन का काम करती हैं। उन मशीनों का प्रभावी प्रयोग किया जाएगा और किया भी जा रहा है। कई बार छोटे किसानों तक इन मशीनों की पहुंच नहीं हो पाती है, जिनके पास छोटे खेत होते हैं वे कस्टम हायरिंग सेंटर से मशीनें लेकर कैसे पराली का प्रबंधन कर पाएं, जैसे पराली को खेत में ही दबा दें तो वह खाद बन जाती है, समस्या की वजह वह वरदान बन जाती है। उस पर भी कैसे छोटे किसानों की पहुंच बढ़े आदि कई विषयों भी बातचीत हुई।
शिवराज सिंह चैहान ने बताया कि बायो डी कंपोजर का उपयोग अधिकतम करें, उसे हम मिशन मोड में बढ़ावा देने का प्रयत्न करेंगे। आसपास के उद्योगों की मांग के आधार पर मैपिंग के माध्यम से पराली के XC2 उपयोग को बढ़ावा देने चर्चा हुई, हम मिलकर सामूहिक प्रयास करेंगे जिसके कारण पराली जलाने की घटना पर काबू पा सकें। उन्होंने कहा कि केवल पराली ही नहीं कई बार पटाखे भी अनियंत्रित संख्या में जलाए जाते हैं तो उसका भी असर पर्यावरण पर बहुत प्रभाव पड़ता है। उसको भी कैसे रोका जाए जैसे अनेकों प्रयत्नों पर बातचीत हुई है। प्रयत्नों के परिणाम भी लगातार सामने आ रहे हैं पराली की लगातार जलने की घटनाएं भी कम हो रही हैं और सब ने संकल्प लिया है कि हम प्रभावी उपाय करेंगे जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहे प्रदूषण मानव जीवन के लिए खतरा न बन पाए। उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों ने अपने अलग-अलग सुझाव दिये हैं जैसे हरियाणा किसानों को पराली ना जलाने के लिए प्रोत्साहन देते हुए अतीरिक्त सुविधाएँ देता है वैसे ही पंजाब भी अपनी तरफ से प्रयास कर रहा है। सभी राज्यों के सुझावों को गम्भीरता से नोट किया है।