नई दिल्ली। कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश (जिसमें बिहार में चल रही चुनाव आयोग की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई) स्पष्ट करता है कि किसी भी याचिकाकर्ता ने रोक लगाने की मांग नहीं की थी। कांग्रेस ने उम्मीद जताई कि यह फैसला बड़ी संख्या में मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर होने से बचाएगा।
उन्होंने आगे कहा, इसके साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि याचिकाकर्ताओं की ओर से किसी भी प्रकार की रोक लगाने की मांग नहीं की गई थी। आदेश के पेज नंबर सात में यह साफ लिखा है। चुनाव आयोग द्वारा इस मुद्दे पर गुमराह करने वाली हेडलाइन बनाना एक सांविधानिक संस्था को शोभा नहीं देता। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जयराम रमेश पर सुप्रीम कोर्ट की बातों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर कहा, सुप्रीम कोर्ट की बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना बंद कीजिए। कोर्ट ने किसी भी अतिरिक्त दस्तावेज को स्वीकार करने का आदेश नहीं दिया है, बल्कि कहा है कि आयोग चाहे तो उन पर विचार कर सकता है। जस्टिस धूलिया ने स्पष्ट कहा कि चुनाव आयोग के पास किसी दस्तावेज को खारिज करने का अधिकार है, बशर्ते वह कारण स्पष्ट करे।
मालवीय ने रमेश को चेतावनी दी कि कोर्ट की टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश करना खतरनाक है और अवमानना का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा, ऐसा ही काम राहुल गांधी ने किया था और उन्हें उसकी कीमत चुकानी पड़ी थी।