Nepali People Supports Gyanendra Shah: नेपाल की राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन हवाई अड्डे पर करीब 10000 से अधिक लोगों की भीड़ पहुंच गई। ये भीड़ नारा लगा रही थी कि “महल खाली करो, हमारा राजा आ रहा है”। इसके साथ ही यह भी नारेबाजी की जा रही थी कि जय पशुपतिनाथ, हमारे राजा का स्वागत है। हजारों की संख्या में आए उत्साहित भीड़ के द्वारा नारेबाजी जिस शख्स के लिए जा रही थी वो और कोई नहीं बल्कि नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह थे। इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित हुई भीड़ की मांग है कि नेपाल एकबार फिर हिंदु राष्ट्र बने और राजशाही की वापसी हो। यही संदेश लेकर पोखरा से 2 महीने बाद काठमांडू लौट रहे राजा ज्ञानेंद्र शाह के पास लोग पहुंच थे।
सक्रिय राजनीति में शाह कर सकते हैं प्रवेश
ज्ञानेंद्र शाह इन दिनों नेपाल के अलग-अलग मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर जाकर लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। 2008 से पहले ज्ञानेंद्र शाह नेपाल के राजा हुआ करते थे। साथ ही नेपाल की पहचान हिंदु राष्ट्र के तौर पर थी। लेकिन एक माओवादी क्रांति के कारण नेपाल की पूरी तस्वीर बदल गई। नेपाल से ना सिर्फ राजशाही व्यवस्था खत्म हो गई। साथ ही हिंदुराष्ट्र का तमगा भी नेपाल से छिन लिया गया। ऐसे में लोगों का झुकाव ज्ञानेंद्र शाह की ओर देखने के बाद नेपाल की राष्ट्रीय पार्टी उनको समर्थन दे रही है। राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी लंबे समय से हिंदुराष्ट्र और राजशाही का समर्थक रहा है। साल 2022 आम चुनाव में इस पार्टी को 575 में से 14 सीटों पर जीत मिली थी। नेपाल में लगातार बदलते माहौल को देखते हुए माना जा रहा है कि ज्ञानेंद्र शाह जल्द ही इस पार्टी का हिस्सा बन सकते हैं। काठमांडू एयरपोर्ट पर ज्ञानेंद्र शाह का स्वागत करने के लिए राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी के कई बड़े नेता पहुंचे थे।
ओली ने शाह को दी चुनौती
शाह के प्रति लोगों के समर्थन पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा, ” पूर्व राजा ज्ञानेंद्र संविधान, कानून, लोकतंत्र, व्यवस्था, प्रक्रिया के बारे में कुछ नहीं कहते, बल्कि कहते हैं, मेरा साथ दो, मैं आऊंगा और देश को बचाऊंगा। देश को क्या हो गया है? इस तरह की गतिविधि अस्थिरता को आमंत्रित करेगी। उनके द्वारा प्रेरित गतिविधियां देश को अराजकता के कगार पर धकेल रही हैं।” इसके साथ ही ओली ने कहा कि अगर वे राजनीति में आना चाहते हैं तो वे उनका स्वागत करते हैं। उन्हें आना चाहिए और चुनाव लड़ना चाहिए। अगर वे संवैधानिक तरीके से राजनीति में आना चाहे हैं तो उनका स्वागत है।