इस साल की अब तक की सबसे बड़ी हिट फिल्म ‘छावा’ से ठीक पहले रिलीज हुई मराठी फिल्म ‘धर्मरक्षक महावीर छत्रपति संभाजी महाराज: चैप्टर वन’ में संभाजी बने अभिनेता ठाकुर अनूप सिंह की नई हिंदी फिल्म ‘रोमियो एस3’ में बतौर हीरो बोहनी हो गई है। इसके पहले वह साउथ फिल्में तमाम कर चुके हैं और हिंदी फिल्म ‘कमांडो 2’ में भी एक छोटी सी भूमिका में दिख चुके हैं। सूर्या की जिस तमिल फिल्म ‘सि 3’ यानी ‘सिंघम 3’ पर उनकी नई फिल्म ‘रोमिया एस3’ आधारित बताई जा रही है, उस फिल्म में भी ठाकुर अनूप सिंह का एक अहम रोल रहा है। पेन स्टूडियोज के संस्थापक व संचालक जयंतीलाल गडा को अनूप सिंह के टैलेंट पर काफी भरोसा रहा है और उनको बतौर हीरो हिंदी सिनेमा में लॉन्च करने की वह अरसे से तैयारी भी करते रहे हैं। लेकिन, साल 2025 में रिलीज हुई फिल्म ‘रोमियो एस3’ मौजूदा समय के दर्शकों की पसंद से कम से कम 30 साल पीछे है। ये बीती सदी के आखिरी दशक में बनी मसाला हिंदी फिल्म सी नजर आती है।
फिल्म की पहली कमजोर कड़ी इसके हीरो ठाकुर अनूप सिंह ही हैं। सूर्या ने अपनी फिल्म ‘सिंघम’ में जैसी दाढ़ी मूंछ रखी है, वैसी ही दाढ़ी मूंछ में बाद में वायुसेना के अफसर अभिनंदन वर्धमान नजर आए थे, इस एक तथ्य से फिल्म की लोकप्रियता की परख हो जाती है। मूंछें अनूप ने भी अतरंगी किस्म की रखने की कोशिश की है, लेकिन जो रुआब किसी असरदार शख्स का उसकी मूंछों से बनता है, वैसा यहां बनता नहीं है क्योंकि अनूप अपना आभामंडल अपनी बॉडी बिल्डिंग से चमकाने की फिराक में नजर आते हैं। इसके अलावा उनका अतरंगी अवतार भी एक डीसीपी स्तर के पुलिस अफसर के लायक नहीं है। किसी सीनियर पुलिस अफसर को ऐसी ओछी हरकतें करते देखना हिंदी पट्टी के दर्शकों को हजम नहीं होता। रोमांस के मामले में भी अनूप का हाथ ढीला है और कॉमेडी उनसे जो जबर्दस्ती फिल्म में करवाई गई है, वह दर्शकों को बहुत खटकती है।
फिल्म ‘रोमियो एस3’ के निर्देशक गुड्डू धनोआ है। जिनको शाहरुख खान की पहली रिलीज फिल्म ‘दीवाना’ याद होगी, उन्हें पता होगा कि इस फिल्म के निर्माता गु्ड्ड धनोआ ही है। गुड्डू को हिंदी सिनेमा के लोग धर्मेंद्र के रिश्ते में लगने वाले भाई के रूप में जानते हैं। सनी देओल और बॉबी देओल दोनों को लेकर वे फिल्में निर्देशित कर चुके हैं। फिल्म जगत में उनकी अलग इज्जत रही है, लेकिन उनका संपर्क नए समय के दर्शकों से शायद उतना रहा नहीं। फिल्म में उनकी वैसी निर्देशकीय दृष्टि भी नजर नहीं आती जैसी उनकी ’23 मार्च 1931: शहीद’ जैसी फिल्मों में लोग देख चुके हैं। साल 2015 में आई ‘रमता जोगी’ के बाद गुड्डू धनोआ ने अब जाकर ये फिल्म निर्देशित की है। फिल्म में उनकी कोई छाप नजर न आने से ये भी साबित होता है कि इस फिल्म का एकमात्र उद्देश्य ठाकुर अनूप सिंह को हिंदी सिनेमा में बतौर हीरो लॉन्च करना था, न कि एक अच्छी मनोरंजक हिंदी फिल्म बनाना।
हालिया रिलीज फिल्म ‘द भूतनी’ में ओवर एक्टिंग करती नजर आईं अभिनेत्री पलक तिवारी फिल्म ‘रोमिया एस3’ की लीड हीरोइन हैं, लेकिन यहां भी उनके अभिनय में वह संवेदनशीलता और गहराई नजर नहीं आती जिसकी उनसे अपेक्षा की जाती है। एक खोजी पत्रकार जैसी उनकी शख्सियत फिल्म के पटकथा लेखक ने गढ़ी ही नहीं। देखा जाए तो अनूप सिंह का अभिनय और गुड्डू धनोआ के निर्देशन के बाद फिल्म की तीसरी सबसे कमजोर कड़ी इसकी शैलेश वर्मा की लिखी पटकथा और संवाद ही हैं। फिल्म का एक भी सीन ऐसा नहीं है जो यूं लगे कि मूल तमिल फिल्म से कुछ अलग सा है या कि हिंदी दर्शकों के लिए कुछ नया अनुभव देता हो। संवाद भी बहुत चलताऊ किस्म के हैं। फिल्म में सहायक कलाकारों की भरमार है। अमन धालीवाल ओवरएक्टिंग करते नजर आते हैं। सचिन खेडेकर को अब इस तरह के किरदारों में देखकर दर्शक ऊबने लगे हैं। अनंत जोग, जाकिर हुसैन, राजेश खट्टर, गणेश यादव और गिरीश सहदेव सब परदे पर आते ही अपने किरदार का राज अपनी शख्सियत से खोल देते हैं। ये कास्टिंग भी फिल्म की एक और कमजोर कड़ी है। फिल्म की तकनीकी टीम का कोई काम अलग से उल्लेख करने लायक है नहीं और गीत-संगीत के स्तर पर भी कमजोर फिल्म है ‘रोमियो एस 3’। इस हफ्ते रिलीज हुईं दो बड़ी हॉलीवुड फिल्मों के बीच ही ये फिल्म पिसकर रह जाने वाली है, स्क्रीन इसको गिनती के ही मिले हैं।