New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु की डीएमके सरकार को बड़ी राहत देते हुए मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को पलट दिया। हाईकोर्ट ने 31 जुलाई को दिए अपने आदेश में डीएमके सरकार को कल्याणकारी योजनाओं में वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम और तस्वीरों का इस्तेमाल न करने को कहा था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने बुधवार को कहा कि 11 अगस्त से किसी भी वरिष्ठ वकील को उनकी अदालत में तत्काल सुनवाई और सूचीबद्ध मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं होगी। सीजेआई ने जूनियर (कनिष्ठ) वकीलों को मौका देने के लिए ये नियम लागू किया है।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने वकीलों द्वारा मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने और सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख की प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दिया था। इससे पहले पूर्व सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना ने इस प्रथा को बंद कर दिया था और वकीलों को ईमेल या लिखित पत्र भेजने के लिए कहा था।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने अदालत के कर्मचारियों से एक नोटिस जारी करने को कहा कि ‘सोमवार से उनकी अदालत में किसी भी वरिष्ठ वकील यानी नामित वरिष्ठ वकील को तत्काल सूचीबद्ध और सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं होगी। कनिष्ठ वकीलों को ऐसा करने का अवसर दिया जाना चाहिए।’