नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सोमवार को मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दूसरे चरण का एलान कर दिया। इस चरण के तहत देश के 12 राज्यों में एसआईआर किया जाएगा। हालांकि चुनाव आयोग के एलान के बाद इस पर राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है। कई राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग की घोषणा पर सवाल खड़े किए और तमिलनाडु की सत्ताधारी डीएमके ने तो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठा दिए।
पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर की प्रक्रिया होगी। टीएमसी ने इसे लेकर कहा कि ‘हम भी पारदर्शी मतदाता सूची के पक्ष में हैं। पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से होगी, लेकिन अगर वैध मतदाता को परेशान किया गया तो हम इसका विरोध करेंगे। राज्य सरकार, राज्य धर्म निभाएगी। हम उम्मीद करते हैं कि चुनाव आयोग राजनीतिक दबाव में ऐसा कुछ नहीं करेगा कि हमें उसका विरोध करना पड़े।’
भाजपा नेता बोले- देशहित के हर काम का विपक्षी करते हैं विरोध
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि चुनाव की गरिमा को बनाए रखना और मतदाता सूची का पुनरीक्षण करना चुनाव आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है और हम एसआईआर के दूसरे चरण का स्वागत करते हैं, लेकिन इंडी गठबंधन इसका विरोध कर रहा है, जबकि उन्होंने खुद ही महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव से पहले एसआईआर कराने की मांग की है। वे एसआईआर पर निशाना साधकर अपने परिवार को बचाना चाहते हैं। भाजपा नेता दिलीप घोष ने कहा कि ‘देशहित के हर काम का विपक्षी पार्टियों द्वारा विरोध किया जाता है। एसआईआर की प्रक्रिया में किसी भी सही मतदाता का नाम नहीं कटेगा, लेकिन अैध और फर्जी मतदाताओं पर रोक लगेगी। कोई भी बांग्लादेशी भारत का मतदाता नहीं बन सकेगा। हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकारें इसमें सहयोग करेंगी और अपनी जिम्मेदारी निभाएंगी।

