Sambhal Violence: संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने बाहरी लोगों के प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध को 10दिसंबर तक बढ़ा दिया है। यह निर्णय उस दिन लिया गया, जब समाजवादी पार्टी (सपा) का 15सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा की जांच के लिए संभल का दौरा करने वाला था।
इस बीच, समाजवादी पार्टी ने हिंसा में मारे गए व्यक्तियों के परिवारों को 5-5लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी मृतकों के परिजनों को 25-25लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है। सपा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर बयान जारी करते हुए बीजेपी सरकार और प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि हिंसा के लिए वे जिम्मेदार हैं।
कैसे हुई हिंसा की शुरुआत?
संभल में 19नवंबर से ही तनाव बढ़ने लगा था, जब अदालत ने मुग़लकालीन जामा मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया था। 24नवंबर को दूसरे सर्वे के दौरान जब प्रदर्शनकारी मस्जिद के पास एकत्र हुए, तो स्थिति और बिगड़ गई। प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों से भिड़ते हुए पथराव और आगजनी की। इस हिंसा में चार लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। हालांकि, पुलिस ने आरोपों से इनकार किया कि उसने गोली चलाई थी।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और प्रशासन के नए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए संभल ट्रायल कोर्ट को सर्वेक्षण और कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया। प्रशासन ने असमाजिक गतिविधियों को रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किए। सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले ग्रुप एडमिन से पोस्ट हटाने और पुलिस को सूचित करने का आदेश दिया गया। इसके अलावा, साइबर कैफे संचालकों को आगंतुकों के नाम दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।