दिल्ली में हर बच्चे को शानदार शिक्षा देने के क्रम में “आप” सरकार ने बुराड़ी विधानसभा के मुकुंदपुर गाँव स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल में एक नया वर्ल्ड क्लास अकेडमिक ब्लॉक तैयार करवाया है। मंगलवार को सीएम आतिशी ने उद्धाटन कर इस स्कूल को बच्चों को समर्पित किया।

इस मौके पर सीएम आतिशी ने कहा कि, “मुकुंदपुर गाँव की घनी आबादी और संकरी गलियों के बीच बना स्कूल का ये शानदार ब्लॉक प्राइवेट स्कूलों से भी शानदार है। उन्होंने कहा कि, “अरविंद केजरीवाल जी की शिक्षा क्रांति की बदौलत अब गरीब का बच्चा गरीब नहीं बनता, अच्छी शिक्षा पाकर अपने सपने पूरे करता है।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “1947 से 2015 तक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 24,000 कमरे बने लेकिन “आप” सरकार ने मात्र 10 सालों में 65 सालों का काम kiya और 22,000 से ज़्यादा कमरें बनवाए।” स्कूल की शानदार जियोग्राफी लैब देखकर सीएम आतिशी ने कहा- मैंने बड़े प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई की, लेकिन ऐसी सुविधाएं वहां भी नहीं थीं।

आज उद्घाटन के मौके पर कार्यक्रम में बच्चों ने सीएम आतिशी का तिलक लगाकर स्वागत किया गया। उसके पश्चात स्कूल की पट्टिका का अनावरण किया गया। इस दौरान सीएम ने प्रदर्शनी लगाने वाले बच्चों से मुलाकात की और उसके बाद स्कूल का निरीक्षण किया। इस दौरान क्षेत्रीय विधायक संजीव झा भी मौजूद रहे। स्कूल के नए अकेडमिक ब्लॉक के उद्घाटन के अवसर पर सीएम आतिशी ने कहा कि, “मुझे इस बात की ख़ुशी है कि, इतनी घनी आबादी वाले इलाक़े में जहाँ मात्र कुछ दूरी में ही 1 लाख को आबादी है। इतनी घनी आबादी, इतनी संकरी गलियों के बीच इतनी शानदार बिल्डिंग बनी है। आज 36 कमरों की ये बिल्डिंग इस पूरे इलाके के प्राइवेट स्कूलों में इतनी शानदार बिल्डिंग, इतने शानदार क्लासरूम, लैब नहीं मिलेंगे।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “इस नई बिल्डिंग के बाद खासतौर पर लड़कियां जो दसवीं के बाद अक्सर दूर के स्कूलों में जाती थी। लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि इस नई बिल्डिंग से सबसे ज़्यादा फ़ायदा मुकुंदपुर गाँव की लड़कियों को होगा और उन्हें पढ़ाई के लिए घर से दूर नहीं जाना पड़ेगा।” इस बिल्डिंग के बनने से पहले घनी आबादी के कारण यहाँ एक क्लास में 80-80 बच्चे बैठते थे। और जब एक क्लास में इतने बच्चे बैठते है तो चाहे टीचर कितनी भी कोशिश करें लेकिन पढ़ाई का वो स्तर नहीं आ पाएगा। लेकिन इस नई बिल्डिंग के साथ अब यहाँ पढ़ाई के स्तर में भी सुधार आएगा।

सीएम आतिशी ने कहा कि, “स्कूल का जियोग्राफी लैब देखकर विश्वास नहीं हुआ कि, सरकारी स्कूल में ऐसे लैब्स भी हो सकते है। मैं ख़ुद दिल्ली के एक बड़े प्राइवेट स्कूल में पढ़ी हूँ लेकिन उस बड़े प्राइवेट स्कूल में भी जियोग्राफी की लैब नहीं होती थी। जिन चीजों को हम किताब में पढ़ते थे वो सारे मॉडल इक्यूपमेंट्स आज इस लैब में हमारे बच्चों की पढ़ाई के लिए मौजूद है।” उन्होंने कहा कि, “एक समय ऐसा था जब लैब में मौजूद इक्यूपमेंट्स-कंप्यूटरों को बच्चों को हाथ भी नहीं लगाने दिया जाता था। लेकिन आज इस लैब को देखकर को इस लैब को दिखाने वाली बच्ची का आत्मविश्वास देखकर समझ आ गया कि अब जमाना बदल गया है। जिस आत्मविश्वास से 11 वीं की बच्ची ने एक एक इक्यूपमेंट्स के बारे में बताया वो हमारे स्कूलों में पढ़ाई के स्तर में हुए बदलाव को दिखाता है।यही हमारा सपना भी था”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “10 साल पहले जब हमारी सरकार बनी, हम सरकारी स्कूलों को देखते थे तो ये सभी सरकारी स्कूल टेंट वाले स्कूल कहलाते थे। जहाँ बरसात में पानी टपकता था, बच्चे टाट पट्टी पर बैठते थे, स्कूलों में टीचर नहीं आते थे। कोई भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल नहीं भेजना चाहता था। लोग अपना पेट काट-काटकर मजबूरी में दिल पर पत्थर रखकर बच्चो को सरकारी स्कूल में भेजते थे। क्योंकि उन्हें पता था यहाँ पढ़ाई तो होगी नहीं।”
उन्होंने कहा कि, “इसी व्यवस्था के कारण अमीर लोग अपने बच्चों को महंगे प्राइवेट स्कूल में भेजते थे। उसे अच्छी शिक्षा अच्छी नौकरी मिल जाती थी। लेकिन एक गरीब परिवार का बच्चा टूटे-फूटे सरकारी स्कूल में जाता और शायद पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाता था। पढ़ाई पूरी कर भी ली तो छोटी मोटी नौकरी करती था।इसका नतीजा अमीर का बच्चा और गरीब का बच्चा गरीब रह जाता था।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “10 साल पहले अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने एक सपना देखा कि चाहे गरीब से गरीब परिवार का बच्चा हो लेकिन उसे शानदार शिक्षा मिलनी चाहिए, दुनिया में सबसे अच्छे अवसर मिलने चाहिए। और तभी से इस शिक्षा क्रांति की शुरुआत हुई। दिल्ली देश का पहला राज्य बना जिसने अपने बजट का 25% बच्चो की शिक्षा पर लगाया, आज भी देश में कोई और राज्य ऐसा नहीं करता है। तभी ये शानदार स्कूल बिल्डिंग बनने का सिलसिला शुरू हुआ।”
सीएम आतिशी ने साझा किया कि, “1947 से 2015 दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 24,000 लेकिन हमारी सरकार ने जितना काम 65 सालों में हुआ उतना काम 10 सालों में कर दिखाया। 10 सालों के हमनें स्कूलों में 22,000 कमरें बनाए। हमनें अपने टीचर्स को कैम्ब्रिज, हार्वर्ड, सिंगापुर भेजा। देश-विदेश के टॉप संस्थानों में ट्रेनिंग के लिए भेजा ताकि वो हमारे-आपके बच्चों को वर्ल्ड क्लास शिक्षा दे सके।”

उन्होंने कहा कि, “इन सब काम का नतीजा ये है कि पिछले 8 सालों से लगातार दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे प्राइवेट से बेहतर आ रहे है। पिछले कई साल से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवारों के बच्चे जेईई-नीट की परीक्षा क्वालीफाई कर देश के बड़े-बड़े संस्थानों में एडमिशन ले रहे है। पिछले साल ही 2000 से ज़्यादा बच्चों ने जेईई-नीट की परीक्षा क्वालीफाई की।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “10 साल पहले ये एक सपने जैसा था कि दिल्ली सरकार के स्कूल प्राइवेट स्कूलों को पीछे छोड़ देंगे। लेकिन ये इसलिए संभव हुआ क्योंकि दिल्ली के लोगों ने एक ऐसी सरकार को चुना जो बच्चों की शिक्षा को अहमियत देते है। उन्होंने कहा कि, हमें उम्मीद है कि दिल्ली के लोगों का जैसे प्यार-आशीर्वाद हम सभी पर पिछले 10 सालों से बना रहा है वो आने वाले 5 साल भी बना रहेगा।”
नए अकेडमिक ब्लॉक की विशेषताएं
-चार मंजिला शानदार बिल्डिंग
-36 कमरें
-3 शानदार लैब
-प्रिंसिपल ऑफिस
-समता विहार और मुकुंदपुर गाँव के 1000 बच्चों को फ़ायदा होगा।
नए अकेडमिक ब्लॉक के उद्घाटन पर आम आदमी पार्टी के बुराड़ी से विधायक संजीव झा ने कहा कि, “आज जब इस बिल्डिंग का उद्धाटन हो रहा है, उसके बाद का स्वरूप क्या है, यह अपने आप में एक यात्रा को बयां करता है। सांच को आंच क्या। सब कुछ सबके सामने है। आज यह दोनों ब्लॉक पिछले 7-8 साल में बने हैं। यहां बच्चे बहुत हैं। अभी भी डेढ़ से दो हजार बच्चों को मुकुंदपुर से बाहर मॉडल टाउन और आदर्श नगर में पढ़ने जाना पड़ता है। लेकिन इस बिल्डिंग से इसमें कमी आएगी।”
उन्होंने कहा कि, “पिछले दस साल में शिक्षा के क्षेत्र में जो कुछ भी हुआ मुझे लगता है इससे ना केवल बच्चों बल्कि अभिभावकों की भी दिल्ली के जरिए पूरे देश में उम्मीद जगी है कि सरकारी स्कूल भी अच्छा हो सकता है। मैं ऐजुकेशन की पूरी टीम को धन्यवाद देता हूं क्योंकि सरकार की सभी इकाई जब एक पंक्ति में काम करती है तो इस तरह का इतिहास बनता है। उन्होंने कहा, “यह बिल्डिंग रातों-रात तैयार नहीं हुई है, इसके लिए जुनून था, जिद थी कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को लगे कि उनके स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर महंगे से महंगे प्राइवेट स्कूल से बेहतर है। यह केवल स्कूल नहीं बना है बल्कि इससे इसमें पढ़ने वाले बच्चों का आत्मविश्वास भी आया और उनमें ज्ञान का संचार भी हुआ है।”

संजीव झा ने कहा कि, “अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि अगर इस देश को आगे बढ़ाना है तो हर बच्चे को अच्छी और गुणवत्ता वाली शिक्षा दे दो। देश अपने आप अच्छा हो जाएगा। जब मैं एनुअल फंक्शन में आता हूं, बच्चे प्रदर्शनी लगाते हैं और जब वो उसके बारे में बताते हैं तो उनका वो आत्मविश्वास और ज्ञान दस साल में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होने के कारण बढ़ा है। ऐसा माना जाता है कि गरीब मां-बाप के बच्चे अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ सकते हैं। यानि गरीबों की दुनिया अलग है, अमीरों की अलग है। कई लोगों को यह बर्दाश्त नहीं होता है कि यह गरीब कैसे अमीरों की दुनिया में आ गया और बराबरी कर रहा है। यह सपना आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने दिखाया है जिससे देश में उम्मीदें जगी हैं। 2013 में एसकेवी की 17 कमरे की खंडहर बिल्डिंग थी। उस 17 कमरों के लिए पीडब्ल्यूडी फैसला ले रहा था कि बच्चे पढ़ने चाहिए कि नहीं चाहिए। हम भी देख रहे थे बिल्डिंग टूटी हुई है, बच्चे कैसे पढ़ रहे हैं। कोई हादसा ना हो जाए। आज वह स्कूल सबके सामने है। मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि आज जो यह बिल्डिंग तैयार हो रही है, जिन क्लासरूम में 80-90 बच्चे पढ़ रहे थे, उसमें अब 50 बच्चे पढ़ेंगे। मैं सभी अभिभावकों और बच्चों को शुभकामनाएं देता हूं। मुझे लगता है कि अगली बार जब अरविंद केजरीवाल की सरकार चुनकर आएगी तो बाकी चीजें और बढ़िया होती रहेंगी।”