SC Hearing For EVM: मंगलवार को एक याचिका पर सुनावई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का डाटा डिलीट ना करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने आयोग से पूछा है कि मतदान के बाद ईवीएम का डाटा कैसे सुरक्षित रखा जाता है और प्रक्रिया क्या होती है। दरअसल, ADR के द्वारा कोर्ट में EVM के सत्यापन को लेकर याचिका दायर की गई थी। जिसपर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनावाई की।
“इसे सही तरीके से नहीं बताया”
कोर्ट ने कहा कि हम नहीं चाहते कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो, हम चाहते हैं कि शायद इंजीनियर यह बता सके कि कोई छेड़छाड़ हुई है या नहीं। हमारी परेशानी यह है कि हमने इसे सही तरीके से नहीं बताया। इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि जिस तरह से आप चाहते हैं, हम उसे पूरा करेंगे। कोर्ट ने आदेश दिया कि वे इसे लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। आप में से कौन सही है, हमें नहीं पता। हम सिर्फ पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर 15 दिनों में जवाब दाखिल करने को कहा है।
कोर्ट ने कहा कि हम करण सिंह दलाल और एमए 40/2025 की याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। हम विस्तृत प्रक्रिया भी नहीं चाहते। हम चाहते हैं कि आप आएं और प्रमाणित करें कि देखिए यह किया जा रहा है। डेटा को मिटाएं या फिर से लोड ना करें। आप बस यही करेंगे कि कोई आकर प्रमाणित करेगा।
“ईवीएम से छेड़छाड़ हुई है या नहीं”
कोर्ट ने कहा कि अगर कोई हारने वाला उम्मीदवार स्पष्टीकारण चाहता है तो इस पर इंजीनियर ही स्पष्टीकरण दे सकता है कि ईवीएम से छेड़छाड़ हुई है या नहीं। हम चाहते हैं कि अगर किसी को कोई संदेह है तो वो दूर हो। यह विरोधात्मक नहीं है। कई बार धारणाएं अलग-अलग होती हैं, जो हम बताना चाहते हैं, वह हम नहीं बता पाते। हम नहीं चाहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो, हम चाहते हैं कि शायद इंजीनियरिंग यह बता सके कि कोई छेड़छाड़ हुई है या नहीं। आप में से कौन सही है, हमें नहीं पता हम सिर्फ पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।