Petrol-Diesel Price: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है और अपनी ज़रूरत का 85%क्रूड ऑयल बाहर से मंगाता है। ऐसे में तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था और आम जनता की जेब पर गहरा असर डालती हैं।
बता दें कि,मार्च 2024से देश के चारों बड़े महानगरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जबकि इस बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें 4साल के निचले स्तर पर आ चुकी हैं।
क्रूड के दाम गिरे, फिर भी क्यों नहीं मिली राहत?
हाल के आंकड़ों के मुताबिक, खाड़ी देशों का कच्चा तेल 1.28%गिरकर 67डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। अमेरिकी क्रूड (WTI) 1.36%की गिरावट के साथ 63.80डॉलर पर आ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2025में औसतन कीमतें 65-66डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहेंगी।
चार साल पहले और अब की कीमतों की तुलना
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कमजोर रुपया बना बड़ी वजह
हालांकि कच्चे तेल के दाम तो गिर गए हैं, लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट ने असर को खत्म कर दिया है।
अप्रैल 2021:1डॉलर = ₹75.43
अप्रैल 2025:1डॉलर = ₹85
यानी रुपया करीब 13%कमजोर हुआ है। इसी वजह से सस्ता क्रूड भी भारत के लिए महंगा पड़ रहा है।
एक साधारण उदाहरण से समझें फर्क
– 2021में 67.05डॉलर प्रति बैरल का क्रूड भारत को ₹5,057में पड़ता था
– अब 66.97डॉलर वाला वही बैरल ₹5,692में पड़ रहा है

