संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथनेनी हरिश ने 2025 के अंतर्राष्ट्रीय वेसाक दिवस के अवसर पर भगवान बुद्ध के उपदेशों को याद किया। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के उपदेश हमें भिन्नताओं को पार करने और एकता के बंधन को बढ़ावा देने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने थाईलैंड और श्रीलंका के स्थायी मिशनों का आभार व्यक्त किया, जो इस आयोजन के सह-मेजबान थे। साथ ही कहा कि हरिश ने कहा कि वेसाक दिवस हमारे क्षेत्र के देशों को जोड़ने वाले सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों को मजबूत करता है।
बता दें कि यूएन जनरल असेंबली वेसाक दिवस को मनाने की स्वीकृति देती है ताकि बौद्ध धर्म के मानवता की आध्यात्मिकता में योगदान को स्वीकार किया जा सके। वेसाक, जिसे भारत में बुद्ध जयंती या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, वह दिन है जब गौतम बुद्ध का जन्म हुआ। वेसाक दिवस हर साल संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय और अन्य कार्यालयों में मनाया जाता है।
बुद्ध के उपदेश मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं- हरिश
हरिश ने आगे कहा कि बुद्ध का मध्यमार्ग आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है और उनके उपदेश आज के अनिश्चित समय में मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बुद्ध के उपदेश सरल लेकिन गहरे हैं, जो हमें हमारी भिन्नताओं को पार करने और प्रेम व करुणा के सामान्य बंधन को अपनाने की प्रेरणा देते हैं।
उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म भारत से उत्पन्न हुआ था और वेसाक दिवस हमारे साझा बौद्धिक धरोहर का उत्सव है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का थाईलैंड के वट फो मंदिर और श्रीलंका के जय श्री महा बोधि में गए दौरे का उल्लेख करते हुए हरिश ने कहा कि इन यात्राओं ने हमारे सांस्कृतिक संबंधों को और भी मजबूत किया है।
इसके साथ ही हरिश ने कहा कि वेसाक दिवस हमारे क्षेत्र के देशों के सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों को फिर से पुष्टि करने का एक अवसर है और यह दिन भारत और दुनिया भर के बौद्धों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि बौद्ध धर्म ने भारतीय सांस्कृतिक विविधता और समग्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों ने बौद्ध धर्म से गहरी प्रेरणा ली है।