न्यूयॉर्क। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कहा है कि समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इंडो-पैसिफिक (हिंद-प्रशांत) क्षेत्र में बदलते हालात और नए खतरों को देखते हुए भारत लगातार अपनी रणनीति को आधुनिक बना रहा है। भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि, पी. हरीश ने यह बात मंगलवार को यूएनएससी की उच्च-स्तरीय खुली बहस में कही। यह बैठक ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का संरक्षण: वैश्विक स्थिरता के लिए समुद्री सुरक्षा को अंतरराष्ट्रीय सहयोग से मजबूत करना’ विषय पर आयोजित की गई थी, जिसकी अध्यक्षता ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने की।
समुद्री सुरक्षा क्यों है जरूरी?
इस दौरान राजदूत हरीश ने बताया कि, समुद्री सुरक्षा भारत की आर्थिक वृद्धि की रीढ़ है क्योंकि व्यापार मार्ग, ऊर्जा आपूर्ति और रणनीतिक हित समुद्रों से जुड़े हैं। भारत क्षेत्रीय कूटनीति, मजबूत रक्षा, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और घरेलू ढांचे को संतुलित रखते हुए आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अगस्त 2021 में समुद्री सुरक्षा पर यूएनएससी की पहली खुली बहस में भी पांच मूलभूत सिद्धांत दिए थे।
- वैध समुद्री व्यापार में बाधाएं दूर करना।
- अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार विवादों का शांतिपूर्ण समाधान।
- प्राकृतिक आपदाओं और गैर-राज्यीय समुद्री खतरों से मिलकर निपटना।
- समुद्री पर्यावरण और संसाधनों का संरक्षण।
- जिम्मेदार समुद्री संपर्क को बढ़ावा देना।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की चेतावनी
वहीं यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बहस में कहा कि, समुद्री सुरक्षा के लिए जरूरी है कि सभी देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करें। 2025 की पहली तिमाही में समुद्री हमलों की संख्या में 47.5% की तेज बढ़ोतरी दर्ज हुई है। एशिया में विशेष रूप से मलक्का और सिंगापुर की खाड़ियों में घटनाएं दोगुनी हो गई हैं। रेड सी और गल्फ ऑफ एडन में हूती विद्रोहियों द्वारा व्यापारिक जहाजों पर हमले, व्यापार को प्रभावित कर रहे हैं। भारतीय महासागर के रास्ते अफगान हेरोइन पूर्वी अफ्रीका पहुंच रही है, और कोकीन अटलांटिक पार कर यूरोप आ रही है। साइबर हमले भी बंदरगाहों और शिपिंग कंपनियों के लिए नया खतरा बन रहे हैं।
भारत की कार्रवाई और उपलब्धियां
भारतीय राजदूत पी. हरीश ने जानकारी देते हुए बताया कि, पिछले साल भारतीय नौसेना ने 35 से अधिक जहाज तैनात किए। 1000 से अधिक जहाजों की जांच की। 30 से ज्यादा घटनाओं में त्वरित प्रतिक्रिया देकर 520 से अधिक लोगों की जान बचाई, चाहे उनकी नागरिकता कुछ भी हो। 312 से ज्यादा व्यापारिक जहाजों की सुरक्षित एस्कॉर्टिंग की गई, जिनमें 11.9 मिलियन मीट्रिक टन माल था, जिसकी कीमत 5.3 बिलियन डॉलर से अधिक है। भारत सर्च एंड रेस्क्यू (एसएआर) और मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में।