कोटा-बूंदी हवाई अड्डे के लिए मुफ्त में जमीन देगी राजस्थान सरकार
केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने मंगलवार को राजस्थान के कोटा-बूंदी में 1,507 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक नया हवाई अड्डा स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। वैष्णव ने कहा कि ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा परियोजना को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की ओर से वित्त पोषित किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि हवाई अड्डे के लिए 1,089 एकड़ जमीन राजस्थान सरकार मुफ्त में उपलब्ध कराएगी। नए हवाई अड्डे की क्षमता प्रति वर्ष 20 लाख यात्रियों को संभालने की होगी। वैष्णव ने कहा कि हवाई अड्डा क्षेत्रीय संपर्क में उल्लेखनीय सुधार करेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।
एएआई इस परियोजना का वित्तपोषण अपने आंतरिक स्रोतों से करेगा और इसके 24 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में देश में चालू हवाई अड्डों की संख्या 2014 में 74 से दोगुनी से भी ज़्यादा बढ़कर 2025 में 162 हो गई है। उन्होंने कहा कि हवाई यात्रियों की संख्या भी 2014 के 16.8 करोड़ से बढ़कर इस वर्ष 41.2 करोड़ हो गई है।
ओडिशा की रिंग रोड परियोजना पर खर्च होंगे 8308 करोड़ रुपये
वैष्णव ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ओडिशा में हाइब्रिड एन्युइटी मोड (एचएएम) पर छह लेन की एक्सेस-कंट्रोल्ड कैपिटल रीजन रिंग रोड (भुवनेश्वर बाईपास) के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इसकी कुल पूंजी लागत 8,307.74 करोड़ रुपये होगी।
वर्तमान में, मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग पर रामेश्वर और तांगी के बीच संपर्क अत्यधिक शहरीकृत शहरों खोरधा, भुवनेश्वर और कटक से होकर गुजरने वाले उच्च यातायात के कारण काफी भीड़भाड़ का सामना करता है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, 110 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को 6-लेन वाले प्रवेश-नियंत्रित ग्रीनफील्ड राजमार्ग के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है।
बयान में कहा गया है, “यह परियोजना कटक, भुवनेश्वर और खोरधा शहरों से भारी वाणिज्यिक यातायात को हटाकर ओडिशा और अन्य पूर्वी राज्यों को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करेगी। इससे माल ढुलाई की दक्षता बढ़ेगी, रसद लागत कम होगी और क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।”
यह परियोजना तीन प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच-55, एनएच-57 और एनएच-655) और एक राज्य राजमार्ग (एसएच-65) से जुड़ा है। यह ओडिशा में प्रमुख आर्थिक, सामाजिक और रसद नोड्स को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।