तेल अवीव । अंतरराष्ट्रीय जहाजों का एक बेड़ा मानवीय मदद लेकर गाजा जा रहा है। इस बेड़े के साथ कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता भी गाजा पहुंच रहे हैं, जिनमें स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल हैं। अब इस बेड़े को लेकर इस्राइल की सरकार ने बड़ा दावा किया है। इस्राइल के विदेश मंत्रालय ने ऐसे दस्तावेज पेश किए हैं, जिनके आधार पर दावा किया जा रहा है कि गाजा में मदद लेकर जा रहे इस जहाजी बेड़े के पीछे हमास का हाथ है।
पीसीपीए, हमास की विदेश शाखा की तरह काम करता है
इस्राइली मीडिया के अनुसार, इस्राइली विदेश मंत्रालय ने कहा कि जहाजी बेड़े के नेताओं और आतंकी संगठन हमास का सीधा नाता है। इस्राइल ने दावा किया कि जहाजी बेड़े से गाजा में मदद लाने के अभियान के पीछे हमास की विदेश शाखा पीसीपीए है। पीसीपीए के कई सदस्य इस अभियान में शामिल हैं। इस्राइली मीडिया के अनुसार, पीसीपीए की स्थापना 2018 में की गई थी और यह विदेशों में हमास के दूतावासों की तरह काम करता है। साल 2021 में इस्राइल ने पीसीपीए को आतंकी संगठन घोषित किया था।
पीसीपीए के कई पदाधिकारी हमास से जुड़े
इस्राइल का कहना है कि पीसीपीए के कई पदाधिकारी, हमास के शीर्ष नेता हैं। इस्राइल ने जाहेर बिरावी का उदाहरण दिया, जो ब्रिटेन में पीसीपीए का प्रमुख है और बीते 15 वर्षों से गाजा में मानवीय मदद के लिए जहाजी बेड़ों को भेजने का काम करता रहा है। इसी तरह पीसीपीए का एक सदस्य सैफ अबु काशक साइबर नेपच्यून का सीईओ है। इस कंपनी के दर्जनों जहाज सुमुद जहाजी बेड़े का हिस्सा हैं, जो जल्द ही मदद लेकर गाजा पहुंचने वाले हैं। इस्राइल का तो ये भी दावा है कि काशक के स्वामित्व वाले कई जहाजों का असली स्वामित्व हमास के पास है। गौरतलब है कि करीब 47 नौकाओं और जहाजों का बेड़ा गाजा से करीब 150 नॉटिकल माइल दूर है। यह बेड़ा गाजा में इस्राइल के ब्लॉक को तोड़ेगा। कई देशों की सेनाएं भी इस जहाजी बेड़े का समर्थन कर रही हैं। इस्राइल ने इस बेड़े की आलोचना की और आशंका जताई कि इससे हमास को हथियारों की आपूर्ति की जा सकती है।