पाकिस्तान की राजनीति में इन दिनों एक सरकारी विज्ञापन के चलते सियासी गर्माहट अपने चरम पर पहुंच गया है। कारण है कि पाकिस्तानी सरकार की तरफ से एक आधा पेज का विज्ञापन प्रकाशित किया गया है, जिसमें पत्रकारों, फ्रीलांसरों, एनजीओ के कामगारों और नागरिक समाज के लोगों को ‘दुश्मन की प्रचार सामग्री’ फैलाने वाले बताया गया है। इस विज्ञापन ने प्रेस की आजादी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी पैदा कर दी है। यह विज्ञापन एक और दो अक्तूबर को कई बड़े अखबारों में प्रकाशित हुआ, जिसमें कहा गया कि आज के युद्ध की जमीन बंदूक से नहीं, बल्कि सूचना से लड़ी जा रही है। विज्ञापन में बताया गया कि आज के दुश्मन बंदूकों की बजाय सूचना का इस्तेमाल करता है और यह दुश्मन कभी-कभी पत्रकार, एनजीओ कर्मचारी या फ्रीलांसर के रूप में भी दिख सकता है। इसके जरिए वे संवेदनशील जानकारी लेकर डर और अशांति फैला सकते हैं।
मीडिया संस्थानों ने इस विज्ञापन की आलोचना की
मामले में फ्रीडम नेटवर्क नामक मीडिया संस्था ने इस विज्ञापन की कड़ी आलोचना की है। साथ ही कहा है कि यह विज्ञापन पत्रकारों और नागरिक समाज के लोगों को खतरे में डालता है, क्योंकि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना गया है। इसके साथ ही, ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफफ पाकिस्तान (एचआरसीपी), वुमेंस एक्शन फोरम (लाहौर), शिरकत गा, साउथ एशिया पार्टनरशिप-पाकिस्तान, सिमोर्घ और क्लास जैसी मानवाधिकार संस्थाओं ने भी इस विज्ञापन की निंदा की है। इन सभी ने कहा है कि यह विज्ञापन पाकिस्तान में पहले से ही कम होती जा रही स्वतंत्रता की आवाजों को और भी दबाता है।