अशोक ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘सात दिन, हजारों गन्ना किसान सड़कों पर हैं, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के पास बस एक ही उपाय है, केंद्र को दोष दो।’ यह बताते हुए कि विपक्ष में रहते हुए सिद्धारमैया बड़े-बड़े उपदेश देते थे, उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब (मुख्यमंत्री के रूप में), वह बहानों के पीछे छिप जाते हैं और किसानों को छोड़ देते हैं। अगर आप (सिद्धारमैया) शासन नहीं कर सकते, तो इस्तीफा दे दीजिए और पद छोड़ दीजिए।’
केंद्रीय नीतिगत उपायों में समस्या की जड़- सिद्धारमैया
सीएम सिद्धारमैया ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा था कि समस्या की जड़ केंद्रीय नीतिगत उपायों में है: उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का फॉर्मूला, चीनी के लिए स्थिर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), निर्यात प्रतिबंध और चीनी आधारित फीडस्टॉक से इथेनॉल का कम उपयोग। उन्होंने चल रहे आंदोलन से उत्पन्न गंभीर स्थिति पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री से तत्काल मिलने का समय मांगा है।
अशोक ने अपने पत्र में आगे कहा, ‘हम मांग करते हैं: एफआरपी से 500 रुपये प्रति टन अधिक प्रोत्साहन राशि, 5,000 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड, और तत्काल हस्तक्षेप – प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं।’
किसानों ने बंगलूरू-पुणे NH को जाम करने कोशिश की
कर्नाटक में गन्ने की कीमत तय करने के मुद्दे पर किसानों ने बेलगावी जिले के हट्टारागी टोल प्लाजा पर (बंगलूरू-पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग) को अवरुद्ध करने का प्रयास किया।
एक हफ्ते से ज्यादा समय से जारी है किसान प्रदर्शन
बेलगावी जिले के मुदलागी तालुक के गुरलापुर क्रॉस पर किसान एक हफ्ते से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन उत्तरी कर्नाटक के कई जिलों जैसे बेलगावी, बागलकोट, विजयपुरा, हावेरी अन्य में भी फैल गया है। विरोध प्रदर्शन तेज होने के मद्देनजर सिद्धारमैया ने किसान नेताओं और चीनी मिलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक बुलाई है।