CE20 Cryogenic Engine: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 29नवंबर को एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। इसरो ने तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में अपने CE20क्रायोजेनिक इंजन का समुद्र तल पर सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण से भारत के अंतरिक्ष अभियानों में नई दिशा की उम्मीद जताई जा रही है।
CE20क्रायोजेनिक इंजन तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन जैसे क्रायोजेनिक ईंधन का उपयोग करता है। इस इंजन का थ्रस्ट (धक्का) 19-22टन तक बढ़ाया गया है। इसे उच्च नोजल एरिया रेशियो (100:1) के साथ डिजाइन किया गया है, जिससे यह इंजन और भी प्रभावी और ऊर्जा कुशल बन गया है। इसरो ने इसे कम लागत में विकसित किया है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनता है। अब यह इंजन समुद्र तल पर भी प्रभावी रूप से काम कर सकता है। इससे परीक्षण की जटिलताओं और लागत में कमी आई है।
स्पेसएक्स रैप्टर इंजन से तुलना
स्पेसएक्स के रैप्टर इंजन में मिथेन और ऑक्सीजन का उपयोग होता है, जबकि इसरो के CE20इंजन में क्रायोजेनिक और सेमी-क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी का मिश्रण है। इसरो ने इसे कम लागत में विकसित किया है, जिससे यह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक मजबूत दावेदार बनता है। इसके अलावा, इस इंजन में ग्रीन प्रोपेलेंट का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाता है।
समुद्र तल पर परीक्षण की अहमियत
समुद्र तल पर परीक्षण करना चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि एटमॉस्फेरिक प्रेशर अस्थिर हो सकता है। क्रायोजेनिक ईंधन और ज्वलनशील गैसों के बीच तापमान का अंतर भी एक कठिनाई है। इन समस्याओं से निपटने के लिए इसरो ने विशेष इंजेक्टर और मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर का उपयोग किया है।