नई दिल्ली: राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के शुभारंभ के एकदिन बाद ICRIER और Amway इंडिया एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेडने आज “मेकिंग इंडिया द ग्लोबल हब फॉर टरमरिक” शीर्षक से एकसंयुक्त रिपोर्ट का अनावरण किया, जिसमें हल्दी किसानों के सामने आनेवाली चुनौतियों को लेकर उल्लेख किया गया। साथ ही वैश्विक हल्दीबाजार में भारत की स्थिति को और मजबूत करने के लिए एक रोडमैप पेशकिया गया। इससे पहले मंगलवार को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रीपीयूष गोयल ने देश के प्रमुख हल्दी केंद्रों में से एक, उत्तरी तेलंगाना केनिजामाबाद में बोर्ड के कार्यालय का औपचारिक उद्घाटन किया। नए बोर्डका लक्ष्य 2030 तक हल्दी के निर्यात को 1 बिलियन अमरीकी डॉलर तकबढ़ाना है।
ICRIER- Amway रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 में 58.2 मिलियनअमरीकी डॉलर मूल्य का वैश्विक हल्दी बाजार 2028 तक 16.1 प्रतिशतकी सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार, हल्दी से जुड़ेभारतीय किसानों को उतार-चढ़ाव की कीमतों, सीमित बाजार पहुंच औरकटाई के बाद के बुनियादी ढांचे की कमी जैसी बाधाओं का सामना करनापड़ रहा है। भारत में 2023-24 में 1,041,730 मीट्रिक टन उत्पादन केसाथ 297,460 हेक्टेयर में हल्दी की खेती करने के बावजूद उत्पादन कोमजबूत करने और किसानों को सशक्त बनाने के लिए लक्षित हस्तक्षेप कीतत्काल आवश्यकता है। रिपोर्ट में किसानों की समस्याओं और चुनौतियोंको रेखांकित करते हुए आगे का रास्ता भी सुझाया गया है। निष्कर्षों केअनुसार, थर्ड पार्टी प्रमाणित ऑर्गेनिक किसानों को बेहतर कीमत दिलानेमें मदद करता है, लेकिन यह महंगा है और इसमें कोई सब्सिडी नहीं है।इसलिए, रिपोर्ट थर्ड पार्टी ऑर्गेनिक के लिए सब्सिडी, नियामक निकायोंको सुव्यवस्थित करने और नियामक सहयोग के लिए आपसी मान्यतासमझौतों पर हस्ताक्षर करने की सिफारिश करती है जो निर्यात को बढ़ावादेने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत एमआरएल वालीउच्च-कर्क्यूमिन (5 प्रतिशत से अधिक) हल्दी की वैश्विक मांग का केवल10 प्रतिशत ही आपूर्ति करने में सक्षम है। इसलिए, उच्च-कर्क्यूमिन किस्मविकसित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता है औरऐसी किस्मों को वैश्विक प्लेटफार्मों पर मार्केटिंग किया जाना चाहिए।रिपोर्ट के अनुसार, छह जीआई उत्पादों के साथ, व्यापार समझौतों मेंजीआई चर्चाएं महत्वपूर्ण हैं।
रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि “भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में हैंएवं और अधिक जीआई उत्पादों की गुंजाइश है। 5 प्रतिशत से अधिककरक्यूमिन वाले उत्पादों में जीआई को सुरक्षित करने पर ध्यान केंद्रितकिया जाना चाहिए।” डॉ. अर्पिता मुखर्जी, डॉ. सौविक दत्ता, सुश्री ईशानामुखर्जी, सुश्री केतकी गायकवाड़, सुश्री त्रिशाली खन्ना और सुश्री नंदिनीसेन द्वारा को-ऑथर्ड रिपोर्ट में भारत को हल्दी उत्पादन, मूल्य संवर्धन औरनिर्यात में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने की रणनीतियों पर प्रकाशडाला गया है। कार्यक्रम की शुरुआत आईसीआरआईईआर के निदेशकऔर मुख्य कार्यकारी डॉ. दीपक मिश्रा के स्वागत भाषण और भारतसरकार के नीति आयोग के सदस्य श्री रमेश चंद के मुख्य भाषण से हुई।अपने स्वागत भाषण में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधानपरिषद (आईसीआरआईईआर) के निदेशक एवं मुख्य कार्यकारीअधिकारी डॉ. दीपक मिश्रा ने कहा, “वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय काअनुमान है कि भारत का हल्दी निर्यात 2030 तक 1 बिलियन अमेरिकीडॉलर तक पहुंच जाएगा। सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की भी स्थापनाकी है। इस संदर्भ में, हमारी रिपोर्ट इस बारे में लक्षित सिफारिशें करती हैकि कैसे भारत वैश्विक हल्दी उत्पादक और निर्यातक के रूप में अपनीस्थिति को मजबूत कर सकता है। अध्ययन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालतेहुए प्रमुख ऑथर डॉ. अर्पिता मुखर्जी ने कहा, “इस रिपोर्ट का उद्देश्य भारतमें हल्दी और हल्दी उत्पादों के विकास और वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करते हुएवर्तमान रुझानों और विकास को प्रस्तुत करना और वैश्विक हल्दी उत्पादनऔर निर्यात केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करना है।” रिपोर्टपर प्रकाश डालते हुए, अर्पिता मुखर्जी ने उत्पादन को बढ़ाने, निर्यात चैनलोंको मजबूत करने और मूल्यवर्धित उत्पादों को बढ़ावा देने के माध्यम सेअपनी समृद्ध हल्दी विरासत का लाभ उठाने के लिए भारत के अनूठे अवसरपर जोर दिया। एमवे इंडिया ने इस व्यापक सर्वेक्षण को पूरा करने के लिएसमर्थन दिया। अपने समापन भाषण में, एमवे इंडिया के एमडी श्री रजनीशचोपड़ा ने कहा, “ICRIER की रिपोर्ट ‘भारत को हल्दी का वैश्विक केंद्रबनाना’ किसानों, किसान उत्पादक संगठनों, कंपनियों और नीतिनिर्माताओं की अंतर्दृष्टि को ध्यान से दर्शाती है, जो हल्दी उद्योग में वर्तमानपरिदृश्य और भविष्य के अवसरों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है।खाद्य सुरक्षा को पोषण सुरक्षा से जोड़कर और न्यूट्रास्युटिकल के रूप मेंहल्दी के उपयोग में विविधता लाकर, यह रिपोर्ट भारत के निर्यात को बढ़ानेऔर भारत को हल्दी के लिए वैश्विक केंद्र बनाने के सरकार के दृष्टिकोणको प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।” रिपोर्ट देश में मूल्यसंवर्धन को बढ़ाने पर विचार करती है ताकि किसानों की आय बढ़े औरएमएसएमई को लाभ मिले। यह इस क्षेत्र की क्षमता को उजागर करने केलिए सिफारिशें करती है, जो 2047 तक भारत के विकसित देश बनने केदृष्टिकोण के अनुरूप है। इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं।