SC On Waqf Act: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025की वैधता को चुनौती देने वाली 73से अधिक याचिकाओं पर दूसरे दिन की सुनवाई हुई। यह कानून 8अप्रैल 2025को लागू हुआ था और इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और नियमन को बताया गया है।
हालांकि, इस अधिनियम का विपक्षी दलों, कई मुस्लिम संगठनों और याचिकाकर्ताओं ने विरोध किया है। उनका आरोप है कि यह कानून “मुस्लिम विरोधी” और “असंवैधानिक” है।
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य और संपत्ति डिनोटिफिकेशन पर कोर्ट ने उठाए सवाल
16अप्रैल को हुई पहली सुनवाई के दौरान बहस काफी तीखी रही। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने जैसे प्रावधानों पर सवाल उठाए।
सुनवाई के दौरान यह चिंता भी जताई गई कि इन संशोधनों से समुदाय विशेष के अधिकारों पर असर पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने नई नियुक्तियों पर लगाई अस्थायी रोक
कोर्ट ने साफ कहा कि अगले आदेश तक वक्फ बोर्ड या परिषदों में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया कि अगली सुनवाई तक कोई नियुक्ति नहीं होगी और अधिसूचित वक्फ संपत्तियों की स्थिति में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
कोर्ट के अंतरिम आदेश में कहा गया, “प्रतिवादी पक्ष 7दिनों के भीतर अपना प्रारंभिक जवाब दाखिल करेगा। इसके बाद याचिकाकर्ता 5दिनों के भीतर अपना जवाब दे सकते हैं।”
सरकार ने जवाब के लिए मांगा एक सप्ताह का समय
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए एक सप्ताह का समय मांगा। उन्होंने कहा, “मुझे कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए समय चाहिए। यह मामला बहुत गंभीर है और इस पर जल्दबाज़ी में कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता।”