India-Pakistan Tension: भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) एक बार फिर चर्चा में है। हाल के महीनों में भारत ने इस संधि की समीक्षा और संशोधन की मांग को और तेज कर दिया है, जिसके चलते पाकिस्तान में पानी की किल्लत ने गंभीर रूप ले लिया है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने अप्रैल 2025 में इस संधि को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है।
भारत का कड़ा रुख और संधि का निलंबन
पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित करने का ऐलान किया। भारत ने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक संधि को बहाल नहीं किया जाएगा। जल शक्ति मंत्रालय ने तीन चरणों की रणनीति बनाई है, जिसमें पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति पूरी तरह रोकने की योजना शामिल है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा, पाकिस्तान को अब एक बूंद पानी नहीं मिलेगा।
पाकिस्तान में पानी का संकट
सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का 80% पानी मिलता है, जो उसकी 90% कृषि और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। संधि के निलंबन के बाद भारत ने जम्मू-कश्मीर में पनबिजली परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है, जिससे पाकिस्तान में पानी की आपूर्ति में कमी आई है। पाकिस्तान की रिसर्च फर्म ने चेतावनी दी है कि पानी की कमी से फसलों, बिजली उत्पादन और लाखों लोगों की आजीविका पर असर पड़ेगा। पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने उग्र बयान देते हुए कहा, सिंधु में या तो हमारा पानी बहेगा, या उनका खून।
भारत की मांग और वैश्विक प्रतिक्रिया
भारत ने संधि में संशोधन की मांग करते हुए जनसंख्या वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा की बढ़ती मांग का हवाला दिया है। विदेश सचिव विक्रम मिश्रा ने कहा, “1960 की परिस्थितियां अब बदल चुकी हैं।” भारत ने विश्व बैंक और अन्य मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है। हालांकि, पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को एकतरफा बताते हुए युद्ध की धमकी दी है। इशाक डार ने कहा, “पानी रोका तो जंग होगी।” वैश्विक समुदाय ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है।