मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने की पहली बार लागू हुए ऐतिहासिक ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिफॉर्म की घोषणा “हमने वो करके दिखाया है, जो दूसरे 50 साल में नहीं कर पाए
(हिंदुस्तान दर्पण संवाददाता)
दिल्ली सरकार ने ग्रीन कैटेगरी इंडस्ट्रीज़ को कंसेंट टू ऑपरेट (CTO) देने की समय-सीमा 120 दिन से घटाकर सिर्फ 20 दिन कर दी है तय समय में फैसला न होने पर आवेदन अपने आप अप्रूव्ड माना जाएगा, जिससे बेवजह की देरी खत्म होगी।
यह एक बड़ा ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिफॉर्म है जो पुराने “लाइसेंस राज” सिस्टम को खत्म करके पारदर्शी और तेज़ फैसलों की दिशा में अहम कदम है। मंत्री सिरसा ने इस ऐतिहासिक रिफॉर्म को संभव बनाने के लिए माननीय उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता का धन्यवाद किया और कहा कि डबल इंजन सरकार ने वो कर दिखाया जो पिछले 50 साल में नहीं हो सका।
“इनमें से ज़्यादातर सेक्टर लघु और मध्यम उद्योगों से जुड़े हैं, जिन्हें अब लाइसेंस और अप्रूवल की उलझनों से राहत मिलेगी और वो भरोसे और समयबद्ध प्रक्रिया के तहत काम कर सकेंगे”: माननीय मंत्री श्री मनजिंदर सिंह सिरसा
* सभी विभागों में सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया जा रहा है ताकि अप्रूवल की प्रक्रिया और भी आसान, तेज़ और पारदर्शी हो सके।
* 65 से ज़्यादा ग्रीन कैटेगरी इंडस्ट्रीज़ को मिलेगा सीधा फायदा — जैसे रेडीमेड कपड़े, ऐलुमिनियम प्रोडक्ट्स, आयुर्वेदिक दवाइयाँ, फर्नीचर, पैकेजिंग, ऑप्टिकल गुड्स, खिलौने और कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स आदि।
नई दिल्ली। एक और चुनावी वादा पूरा करते हुए दिल्ली सरकार ने ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस से जुड़ा एक ऐतिहासिक सुधार लागू किया है, जिससे ग्रीन कैटेगरी इंडस्ट्रीज़ को डीपीसीसी से मिलने वाले अप्रूवल में होने वाली देरी अब खत्म हो जाएगी। अगस्त 2025 से, ऐसी इंडस्ट्रीज़ के कंसेंट टू ऑपरेट (CTO) के आवेदन अगर 20 दिनों के भीतर प्रोसेस नहीं होते, तो उन्हें अपने आप अप्रूव्ड माना जाएगा। पहले यह समय-सीमा 120 दिन थी।
इस फैसले की घोषणा करते हुए पर्यावरण और उद्योग मंत्री श्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा: “यह दिल्ली के व्यापारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग थी। मैं इस सुधार को लागू करने में सहयोग देने के लिए माननीय उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना और हमारी माननीय मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता का हार्दिक धन्यवाद करता हूँ। डबल इंजन सरकार ने वो कर दिखाया जो 50 सालों में नहीं हुआ — यह सिर्फ रिफॉर्म नहीं, बल्कि दिल्ली की उद्योग नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव है।”
उन्होंने आगे कहा: “यह दिल्ली के उद्यमियों और उद्योग जगत को साफ संदेश है — दिल्ली ज़िम्मेदार व्यापार के लिए तैयार है। हम पुराने लाइसेंस सिस्टम की उलझनों को खत्म कर रहे हैं। यही है माननीय मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली का मॉडल — जनता के लिए, विकास के लिए और तेज़ फैसलों के लिए।”
यह सुधार 65 से अधिक ग्रीन कैटेगरी इंडस्ट्रीज़ को सीधा फायदा देगा — जो कम प्रदूषण फैलाने वाले और लो-रिस्क सेक्टर माने जाते हैं। इनमें शामिल हैं — रेडीमेड गारमेंट्स (बिना डाई या ब्लीचिंग के), ऐलुमिनियम और पीवीसी यूनिट्स, बॉयलर के बिना आयुर्वेदिक दवाइयाँ, कोल्ड स्टोरेज, लकड़ी और स्टील के फर्नीचर, इलेक्ट्रिक ओवन वाली कन्फेक्शनरी यूनिट्स, ऑप्टिकल प्रोडक्ट्स, खिलौने, साबुन और डिटर्जेंट, बैटरी कंटेनर, कार्डबोर्ड और पैकेजिंग मैन्युफैक्चरिंग आदि।
नए सिस्टम के तहत अगर आवेदन 20 दिन के भीतर प्रोसेस नहीं होता, तो वह डीम्ड अप्रूव्ड माना जाएगा — इसके लिए कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ या फॉलो-अप की ज़रूरत नहीं होगी। यह रिफॉर्म दिल्ली के MSME सेक्टर को तेज़ी से बढ़ावा देगा, साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा, माननीय मंत्री ने बताया।
“इनमें से ज़्यादातर सेक्टर लघु और मध्यम उद्योगों से जुड़े हैं, जिन्हें अब बेवजह की देरी और लाइसेंस की उलझनों से मुक्ति मिलेगी और वे भरोसे और समयबद्ध व्यवस्था के तहत आगे बढ़ सकेंगे,” श्री सिरसा ने कहा।
यह कदम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत – विकसित दिल्ली विज़न के अनुरूप है और दिल्ली सरकार के भरोसे और पारदर्शिता पर आधारित गवर्नेस मॉडल को दर्शाता है।
यह सुधार दिल्ली सरकार की सिंगल विंडो क्लियरेंस पहल का हिस्सा है, जिसके तहत सभी विभागों में अप्रूवल प्रोसेस को आसान, पेपरलेस और ट्रांसपेरेंट बनाया जा रहा है ताकि उद्यमियों और उद्योगों को बिना बाधा के आगे बढ़ने का अवसर मिले।