जयपुर। राजस्थान में अफसरशाही को लेकर अब कर्मचारी संगठनों में भी अफसरशाही को लेकर रोष बढ़ रहा है। कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि राजस्थान में उनके लिए जो बजट घोषणाएं की गई थीं। उनकी मियाद पूरी भी हो चुकी लेकिन अफसरों ने उन्हें धरातल पर लागू ही नहीं होने दिया। गौरतलब है कि वर्तमान सरकार द्वारा कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर वित्त मंत्री दीया कुमारी द्वारा विधानसभा में बजट घोषणा की गई थी। वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा वर्ष 2025 26 के बजट में बी श्रेणी की बजट घोषणाओं की क्रियान्विति के लिए समय सीमा तय की गई थी, जिसमें प्रमुख थी, पदोन्नति में अनुभव में 2 वर्ष की छूट, मंत्रालयिक कर्मचारियों के निदेशालय गठन, मंत्रालयिक कर्मचारी, पटवारी, स्कूली व्याख्याता तथा जेल प्रहरियों का कैडर रिव्यू, तथा कार्मिकों को संविदा पर नियमित करने के लिए कार्मिक विभाग के अधीन एक संस्था के गठन किया जाना शामिल था।
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि कार्मिक विभाग द्वारा पदोन्नति में 2 वर्ष की छूट के आदेश भी डेड लाइन 15.06.2025 के निकल जाने के बाद निकाले गए लेकिन बाकी तीन बजट घोषणाएं अभी भी लंबित है।
निदेशालय का गठन
मंत्रालयिक कर्मचारियों के कैडर के लिए अगल से निदेशालय गठन की घोषणा भी बजट में की गई थी। इसके लिए बजट में कहा गया था कि मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए निदेशालय के प्रस्ताव का मंत्रीमंडल से अनुमोदन दिनांक 31 7 2025 तक करवा लिया जाएगा। लेकिन इसी समय सीमा भी निकल चुकी है।
कैडर रिव्यू की घोषणा भी अधर में
मंत्रालयिक कर्मचारी, पटवारी, स्कूली व्याख्याता तथा जेल प्रहरियों का कैडर रिव्यू दिनांक 15.06.2025 तक तथा कार्मिकों को संविदा पर नियमित करने के लिए कार्मिक विभाग के अधीन एक संस्था के गठन का मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदन दिनांक 30.06.2025 तक करना था। इन निर्देशों की पालना कार्मिक विभाग को करनी थी। लेकिन इसकी समय सीमा भी निकल चुकी है और अब तक कुछ भी काम आगे नहीं बढ़ा है।
ये बोले कर्मचारी नेता…
कर्मचारी संगठनों में इस बात को लेकर रोष बढ़ रहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा क्रियान्विति की डेडलाइन घोषित किए जाने के बाद भी क्रियान्विति क्यों नहीं हो पा रही। क्या सरकार द्वारा की गई बजट घोषणाओं की क्रियान्विति के लिए भी कर्मचारियों को आंदोलन करना पड़ेगा? कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश श्रेष्ठ उपाध्यक्ष एवं राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र सिंह नरूका ने भी मांग की है कि महासंघ द्वारा निरंतर आंदोलन एवं ज्ञापन आदि देकर वार्ताओं के माध्यम से अधिकारियों और मंत्रीगणों को कर्मचारियों की उचित मांगों के लिए सहमत किया जाता है। उसके बाद ही सरकार कर्मचारियों की उचित मांगों के क्रियान्वयन लिए बजट घोषणा जैसे कार्य करती है परंतु राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में या अफसरशाही के कारण इनकी क्रियान्विति समय पर नहीं हो पाती जिससे कर्मचारियों को बहुत नुकसान पहुंचता है और सरकार के खिलाफ एक आक्रोश पैदा होता है। अफसरशाहों और सरकार को कर्मचारियों की मांगों के लिए संवेदनशील रहना चाहिए।