(अजय मेहरा)
नई दिल्ली, ‘’ ‘वंदे मातरम्’ एक ऐसा कालजयी राष्ट्रगीत है जो प्रत्येक भारतीय को मातृभूमि की भावना से जोड़ता है,” यह बात दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष समारोह को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर दिल्ली विधानसभा में वंदे मातरम् की पूर्ण रचना अंकित स्मृति पट्टिका का अनावरण किया गया तथा पूरी दिल्ली विधानसभा भवन को तिरंगे के रंगों से आलोकित किया गया, जो भारत की एकता और गौरव का प्रतीक है।कार्यक्रम में दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, विधायक संजय गोयल, कर्नैल सिंह, डॉ. अनिल गोयल तथा चन्दन कुमार चौधरी सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।
विधानसभा अध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में स्थापित वंदे मातरम् की स्मृति पट्टिका आने वाले प्रत्येक आगंतुक को इस अमर गीत की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका और इसकी प्रेरक शक्ति की याद दिलाएगी। उन्होंने बताया कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवम्बर 1875 (आश्विन नवमी) के दिन इस गीत की रचना की थी, जब वे ब्रिटिश शासन की यातनाओं और अपमान से व्यथित थे। बाद में यह गीत ‘आनंदमठ’ (1882) उपन्यास में शामिल हुआ, जिसमें साधुओं ने ‘देशभक्ति के धर्म’ का परिचय दिया।तीन रूपों में प्रस्तुत भारत माता — देवी स्वरूप, पीड़ित स्वरूप, और पुनरुत्थान की प्रतीक — भारत की दासता से पुनर्जागरण तक की यात्रा को दर्शाती हैं।
गुप्ता ने कहा कि वंदे मातरम् भारत के स्वतंत्रता संग्राम का घोष बन गया, जिसे सर्वप्रथम 1896 के कांग्रेस अधिवेशन में रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने गाया। 1905 में बंग-भंग आंदोलन के समय यह गीत समूचे देश में गूंज उठा। उन्होंने कहा कि भगत सिंह की ‘भारत माता की जय’ की पुकार से लेकर मदाम भीकाजी कामा द्वारा बर्लिन में लहराए गए तिरंगे पर अंकित ‘वंदे मातरम्’ तक — यह गीत हर देशभक्त के हृदय की प्रेरणा रहा है।उन्होंने कहा, “वंदे मातरम् किसी राजनीति, धर्म या क्षेत्र का नहीं , यह 140 करोड़ भारतीयों की एकता, गौरव और भावना का प्रतीक है।”
गुप्ता ने बताया कि दिल्ली विधानसभा भवन को तिरंगे रंगों में प्रकाशित कर इस ऐतिहासिक अवसर को मनाया जा रहा है। उन्होंने नागरिकों से ‘वंदे मातरम् के 150 वर्ष’ के वर्षभर चलने वाले उत्सव में सहभागी बनने और इसे एकता व राष्ट्रभक्ति के संकल्प के रूप में अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा,“वंदे मातरम् भारत की शक्ति, साहस और दिव्यता का काव्य रूप है, यह वह अमर गान है जो हमारी आत्मा और राष्ट्र को एक सूत्र में बांधता है।”
विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है, जो हमें स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और आदर्शों की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि यह गीत भारत की सांस्कृतिक एकता और कालातीत भावना का प्रतीक है जो हर पीढ़ी को राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करता है।
कार्यक्रम में साहित्य कला परिषद के कलाकारों द्वारा देशभक्ति गीतों और नृत्य प्रस्तुतियों ने वंदे मातरम् की भावना को सजीव किया। इन मनमोहक प्रस्तुतियों ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उस गीत की भावनात्मक शक्ति को उजागर किया जिसने पीढ़ियों को प्रेरणा दी है।इस ऐतिहासिक अवसर पर दिल्ली विधानसभा भवन को तिरंगे के रंगों में प्रकाशित किया गया, जो स्वतंत्रता, गर्व और एकता की भावना का प्रतीक है।
दिल्ली विधानसभा में आयोजित यह उत्सव न केवल बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की अमर रचना को नमन था, बल्कि उस देशभक्ति की भावना को पुनर्जीवित करने का अवसर भी, जो आज भारत की एकता और प्रगति की दिशा में प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। यह आयोजन हमें स्मरण कराता है कि ‘वंदे मातरम्’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की पहचान की जीवित धड़कन है, जो हमारे राष्ट्रीय संकल्प, सांस्कृतिक गौरव और मातृभूमि के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक है।

