Drone Attack On Chernobyl: रुस और यूक्रेन के बीच टकराव खत्म होते नहीं दिख रहा है। एक ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रुस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की पैरवी करते हैं। वहीं, दूसरी ओर शुक्रवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बड़ा दावा किया है। जेलेंस्की ने रुस पर चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर ड्रोन हमला करवाने का आरोप लगाया है। यूक्रेन के अनुसार, रूसी ड्रोन परमाणु संयंत्र के कवच पर गिरा है। हालांकि, इसके बाद भी चेर्नोबिल में रेडिएशन स्तर में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
जेलेंस्की का बयान आया सामने
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हुए ड्रोन अटैक को आतंकी हमला करार दिया है। वोलोदिमीर जेलेंस्की ने आगे कहा कि रूसी ड्रोन ने संयंत्र में नष्ट हो चुकी बिजली इकाई के प्लांट पर हमला किया, जिससे वहां आग लग गई, जिसे बाद में बुझा दिया गया। जेलेंस्की ने कहा कि अभी तक परमाणु रिएक्शन का स्तर नहीं बढ़ा है और लगातार निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक आकलन में काफी नुकसान पाया गया था। उन्होंने कहा कि रूस ही दुनिया का एकमात्र देश है जो इस तरह के स्थलों पर हमला करता है, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर कब्जा करता है और परिणामों की परवाह किए बिना युद्ध छेड़ता है।
इतिहास का सबसे बड़ा परमाणु हादसा
26 अप्रैल, 1986 को चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा स्टेशन में एक सुरक्षा परीक्षण किया गया था। इसे इतना सामान्य माना गया कि प्लांट के निदेशक ने वहां आने की भी जहमत नहीं उठाई। यह टेस्ट जल्द ही नियंत्रण से बाहर हो गया, क्योंकि अप्रत्याशित बिजली बनने और भाप के निर्माण के कारण कई विस्फोट हुए, जिससे परमाणु रिएक्टर फट गया। ये इतिहास की सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटना मानी जाती है। इतिहास की सबसे खराब परमाणु दुर्घटना मानी जाने वाली चेर्नोबिल आपदा में 31 लोगों की तुरंत मौत हो गई थी। इसमें 28 कर्मचारी और अग्निशामक शामिल थे, जो सफाई के दौरान तीव्र रेडिएशन से मारे गए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना के कारण कैंसर से हजारों लोगों की असमय मृत्यु हुई।