Hydrogen Train Explained: भारत में पहली बार हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल रन शुरू हो रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस नई तकनीक वाली ट्रेन का परीक्षण हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट पर किया जाएगा। यदि यह सफल रहता है, तो इस ट्रेन को पहले इसी रूट पर नियमित रूप से चलाया जाएगा और फिर इसे देश के अन्य छोटे मार्गों पर भी विस्तारित किया जाएगा।
बता दें कि,हाइड्रोजन ट्रेन पारंपरिक डीजल या इलेक्ट्रिक ट्रेनों से अलग होती है। इसमें एक विशेष हाइड्रोजन ईंधन सेल होता है, जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली उत्पन्न करता है। इस प्रक्रिया में केवल पानी और ऊर्जा बनती है, जिससे यह पूरी तरह प्रदूषण मुक्त होती है।
हाइड्रोजन ट्रेन VS पारंपरिक ट्रेनें: कौन बेहतर?
• डीजल ट्रेन: कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी प्रदूषक गैसें उत्सर्जित करती है।
• इलेक्ट्रिक ट्रेन:बिजली पर निर्भर करती है और इसके लिए विद्युत आपूर्ति जरूरी होती है।
• हाइड्रोजन ट्रेन:पूरी तरह से हरित ऊर्जा पर आधारित है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता।
भारत में हाइड्रोजन ट्रेन की अधिकतम गति 110किमी प्रति घंटा होगी। यह सामान्य यात्री ट्रेनों से तेज होगी, लेकिन राजधानी, वंदे भारत और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों की तुलना में धीमी रहेगी। हालांकि, यह छोटे मार्गों के लिए एक प्रभावी विकल्प साबित हो सकती है।
भारत को क्या होंगे फायदे?
• प्रदूषण में कमी:यह केवल जल वाष्प छोड़ती है, जिससे वायु प्रदूषण नहीं होता।
• ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी:यह जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में मदद करेगी।
• ऊर्जा आत्मनिर्भरता:भारत सौर और पवन ऊर्जा से हाइड्रोजन उत्पादन कर सकता है।
• कम रखरखाव लागत:पारंपरिक इंजनों की तुलना में इसका रखरखाव सस्ता होगा।
• नई नौकरियों के अवसर:हाइड्रोजन इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से रोजगार बढ़ेगा।
• रेलवे नेटवर्क का आधुनिकीकरण:इसे गैर-विद्युतीकृत क्षेत्रों में भी चलाया जा सकता है।