Pahalgam Attack: भारत में तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ व्यापारिक और आर्थिक बहिष्कार की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह मांग ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू हुई, जब इन देशों ने कश्मीर में आतंकी हमले के जवाब में भारत के खिलाफ पाकिस्तान का खुला समर्थन किया। भारतीय कारोबारियों और जनता ने तुर्की और अजरबैजान के उत्पादों और सेवाओं का बहिष्कार शुरू कर दिया है, जिसका इन देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।
बहिष्कार का कारण
भारतीय व्यापारियों ने तुर्की के ड्रोन और अन्य उत्पादों, जिनका उपयोग पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ किया, जिसके कारण आयात पर रोक लगाने की मांग की है। इसके अलावा, पर्यटन क्षेत्र में भी तुर्की की यात्रा को रोकने की अपील की जा रही है। एक प्रमुख व्यापारी संगठन ने 16 मई को दिल्ली में एक सम्मेलन की घोषणा की है, जिसमें तुर्की और अजरबैजान के साथ व्यापारिक संबंध खत्म करने पर चर्चा होगी।
आर्थिक प्रभाव का विस्तार
भारत तुर्की और अजरबैजान के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है। तुर्की भारत को कपड़ा, मशीनरी, और ऑटोमोबाइल पार्ट्स निर्यात करता है, जबकि अजरबैजान भारत को कच्चा तेल और गैस की आपूर्ति करता है। 2024-25 में भारत-तुर्की व्यापार लगभग 10 अरब डॉलर का था, जिसमें भारत का आयात प्रमुख हिस्सा है। यदि भारत इन देशों से आयात कम करता है, तो तुर्की की कपड़ा और रक्षा उद्योग पर सीधा असर पड़ेगा।
अजरबैजान की अर्थव्यवस्था, जो मुख्य रूप से तेल और गैस पर निर्भर है, भी प्रभावित हो सकती है। भारत ने हाल के वर्षों में अजरबैजान से कच्चे तेल की खरीद बढ़ाई है, और इस आपूर्ति में कमी से अजरबैजान को वैकल्पिक बाजार तलाशने पड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के बहिष्कार से दोनों देशों को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है।
चीन का रोल और भारत की रणनीति
चीन भी इस विवाद में शामिल है, क्योंकि उसने भी पाकिस्तान का समर्थन किया है। भारतीय जनता और कारोबारी पहले से ही चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं, और अब तुर्की और अजरबैजान को इस सूची में शामिल किया गया है। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने की नीति अपनाई है, जिससे आयात पर निर्भरता कम हो रही है।