इस्लामाबाद। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लगातार यह बात कह रहे थे कि आईएमएफ को पाकिस्तान को दिए जाने वाले कर्ज पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सहयोग की राशि को आतंकवाद को पालने-पोसने में इस्तेमाल करता रहा है। भारत के इस स्टैंड को एक मायने में सफलता मिलती हुई दिखाई दे रही है क्योंकि आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए 11 नए प्रतिबंधों का एलान कर दिया है। अब पाकिस्तान को घरेलू मोर्चे पर न केवल कुछ नए टैक्स लगाने होंगे, बल्कि उसके द्वारा दिए जा रहे सहयोग का विस्तृत लेखा-जोखा पेश करना होगा। इस कोशिश से आईएमएफ के द्वारा दिए गए धन का किसी भी तरह दुरुपयोग करने पर रोक लग सकती है।
आईएमएफ के नए प्रतिबंधों में उसकी संसद द्वारा नए बजट की अनुशंसा पाना भी शामिल है। इसमें देश के अंदर किए जाने वाले खर्च का विस्तृत ब्योरा होगा और सरकार को इस बात को विस्तार से बताना होगा कि वह किस मद में कितना धनराशि खर्च करने जा रही है। अनुमान है कि इससे आईएमएफ के द्वारा दिए जा रहे धन का विकासपरक कार्यों में खर्च किया जा सकेगा और बेहद तेज महंगाई से जूझती पाकिस्तान की जनता को कुछ राहत मिल सकेगी।
भारत ने अपने सांसदों के सात प्रतिनिधिमंडल को विदेशों में भेजकर विश्व समुदाय का ध्यान आतंकवाद की मूल समस्या की तरफ लाने की योजना बनाई है। इसके लिए सांसदों के नाम और देशों की लिस्ट को भी अंतिम रूप दे दिया गया है। भारत पाकिस्तान को आतंकवाद को पालने वाले देश के रूप में चित्रित करता रहा है।